सिंधु आयोग की बातचीत से बहाल हो सकती है भारत-पाक शांति वार्ता
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सिंधु आयोग की बातचीत से बहाल हो सकती है भारत-पाक शांति वार्ता

सिंधु जल आयोग की बातचीत से भारत और पाकिस्तान के बीच स्थगित शांति वार्ता की बहाली का रास्ता खुल सकता है। स्थानीय मीडिया की एक खबर में विशेषज्ञों के हवाले से यह बात कही गई है. दो दिन चलने वाली वार्ता कड़ी सुरक्षा के बीच आज इस्लामाबाद में शुरू हुई.

सिंधु जल आयोग की बातचीत से भारत और पाकिस्तान के बीच स्थगित शांति वार्ता की बहाली का रास्ता खुल सकता है

इस्लामाबाद: सिंधु जल आयोग की बातचीत से भारत और पाकिस्तान के बीच स्थगित शांति वार्ता की बहाली का रास्ता खुल सकता है। स्थानीय मीडिया की एक खबर में विशेषज्ञों के हवाले से यह बात कही गई है. दो दिन चलने वाली वार्ता कड़ी सुरक्षा के बीच आज इस्लामाबाद में शुरू हुई.

डॉन की खबर के अनुसार यह बातचीत दोनों देशों के बीच स्थगित शांति प्रक्रिया बहाल करने की दिशा में पहला कदम साबित हो सकती है. हालांकि भारतीय अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से वार्ता को ज्यादा तवज्जो ना देते हुए कहा कि यह सिंधु जल आयोग की एक नियमित बैठक भर है, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसे ज्यादा तवज्जो दी. वार्ता का महत्व भारत के सिंधु जल आयुक्त पी के सक्सेना के एक पत्र से बढ़ जाता है जिसमें उन्होंने भारत द्वारा झेलम और चेनाब नदियों पर क्रमश: किशनगंगा एवं रातले पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण जैसे विवादों पर चर्चा का प्रस्ताव रखा है. हालांकि पाकिस्तान इस प्रस्ताव को खारिज कर चुका है क्योंकि मामला पहले ही विवाद के समाधान के लिए विश्व बैंक के पास ले जाया गया है. लेकिन पाकिस्तानी अधिकारी बातचीत को लेकर उत्साहित हैं.

पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त मिर्जा आसिफ बेग ने कहा, ‘यह वार्ता महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत एक साल से अधिक समय तक मना करने के बाद अब मुद्दों पर चर्चा के लिए वार्ता की मेज पर वापस आ गया है.’ उन्होंने कहा, ‘वे जल संधि निलंबित करने को लेकर बातचीत कर रहे थे लेकिन अब वे इस प्रतिमान से बाहर आ गए हैं.’ बेग ने कहा कि भारतीय आयुक्त ने पत्र में रातले और किशनगंगा परियोजनाओं को वार्ता में शामिल करने की मांग की थी लेकिन पाकिस्तान ने प्रस्ताव ठुकरा दिया.

पाकिस्तान के पूर्व आयुक्त सैयद जमात अली शाह ने इस बैठक को पूर्व के रूख से आगे बढ़ना बताया लेकिन साथ ही कहा कि इससे मुद्दे पर पाकिस्तान की असहाय स्थिति का भी पता चलता है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह एक नियमित बैठक है और भारत इसका इस्तेमाल उन मुद्दों को वापस वार्ता की मेज पर लाने के लिए कर रहा है जिन्हें मध्यस्थता के लिए पहले ही विश्व बैंक के पास ले जाया जा चुका है, इससे पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रियावादी नीति का पता चलता है.’ शाह ने कहा, ‘मेरी राय में मोदी अपनी रणनीति में सफल रहे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मध्यस्थता कराने की कोशिशों को रोक दिया और युद्ध स्तर पर छह विशाल पनबिजली परियोजनाएं शुरू कर दीं.’ 

वहीं भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अजीज अहमद खान ने इसके उलट राय दी. उन्होंने कहा, ‘यह बात सत्यापित नहीं है कि मोदी ने कभी भी सिंधु जल संधि निलंबित करने की बात कही. कुछ भारतीय अधिकारियों ने मेरे सामने साफ तौर पर इस बयान से इनकार किया. इसलिए मुझे लगता है कि सिंधु जल वार्ता एक नियमित चीज है और यह मौजूदा प्रक्रिया का जारी रहना है.’ खान ने कहा कि इस बैठक को दोनों देशों के बीच उच्च स्तर की बातचीत की बहाली से जोड़ना गलत है. हालांकि उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा कुछ दूसरे कदम उठाने की उम्मीद की जा सकती है.’ खान ने कहा, ‘भारत में चुनाव का दौर खत्म हो गया है और मोदी संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कोई अन्य नाटकीय कदम उठा सकते हैं लेकिन हमें जल आयुक्तों की बैठक को उच्च स्तर की वार्ता की बहाली से नहीं जोड़ना चाहिए.’ 

पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने कहा, ‘हाल में भारतीय सांसद एशियाई संसदीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यहां आए थे. इससे पहले दोनों देशों के सांसदों ने ‘पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ लेजिस्लेटिव डेवलपमेंट एंड ट्रांसपरेंसी’ थिंकटैंक द्वारा दुबई में आयोजित एक सम्मेलन में शिरकत की थी, इसलिए यह इस बात का संकेत नहीं है कि इस बैठक से विदेश सचिव स्तर की बातचीत का रास्ता साफ होगा.’ जकरिया ने कहा, ‘इसके लिए भारत को कश्मीर पर चर्चा के लिए सहमत होना पड़ेगा और अब तक वे इस मुद्दे पर बातचीत की कोई इच्छा नहीं दिखा रहे.’

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