अब्बास ने यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दिए जाने के जवाब में कही.
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इस्तांबुल: फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने बुधवार (13 दिसंबर) को कहा कि पश्चिम एशिया में शांति प्रक्रिया में उनके लोग ‘‘अब से’’ अमेरिका की किसी भूमिका को स्वीकार नहीं करेंगे. अब्बास ने यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दिए जाने के जवाब में कही. अब्बास तुर्की में इस्लामी देशों के प्रमुखों और शीर्ष अधिकारियों के सम्मेलन में बोल रहे थे. इस सम्मेलन में ट्रंप के फैसले के खिलाफ एकीकृत मुस्लिम जगत का रुख तय होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि ट्रंप का फैसला एक ‘‘अपराध’’ है जिससे विश्व शांति को खतरा है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि शांति प्रक्रिया का प्रभार वह अपने हाथों में लें और नया तंत्र स्थापित करें क्योंकि वाशिंगटन इस कार्य के लिए अब ‘‘योग्य’’ नहीं रहा. फलस्तीनी नेता ने यह भी कहा कि फलस्तीनी लोग इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यरूशलम पर ट्रंप के फैसले के बाद वाशिंगटन को निष्पक्ष वार्ताकार के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. इस्लामी देशों के संगठन (ओआईसी) के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने देशों से आह्वान किया कि वे जल्द ही फलस्तीन को देश के रूप में तथा यरूशलम को इसकी राजधानी के रूप में मान्यता प्रदान करें.
एर्दोआन की विश्व समुदाय से अपील, यरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता दें
वहीं दूसरी ओर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोआन ने बुधवार (13 दिसंबर) को विश्व समुदाय से अपील की कि वह कब्जे वाले पूर्वी यरूशलम को ‘फलस्तीन की राजधानी’ के तौर पर मान्यता दे, क्योंकि फलस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने चेतावनी दी कि जब तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, तब तक पश्चिम एशिया में शांति नहीं हो सकती. इस्तांबुल में इस्लामी देशों की प्रमुख संस्था इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के एक आपातकालीन सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए एर्दोआन ने यह टिप्पणी की. उन्होंने अमेरिका की ओर से यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने पर मुस्लिम नेताओं से समन्वित प्रतिक्रिया करने की अपील की.
एर्दोआन ने इजरायल को ‘कब्जे’ और ‘आतंक’ से परिभाषित होने वाला देश करार दिया. उन्होंने कहा, ‘इस फैसले से इजरायल को उसकी ओर से अंजाम दी गई सभी आतंकवादी गतिविधियों के लिए पुरस्कृत किया गया.’ एर्दोआन ने कहा, ‘मैं अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने वाले देशों को आमंत्रित करता हूं कि वे कब्जे में लिए गए यरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता दें.’ उन्होंने कहा कि इस्लामी देश इस मांग को ‘कभी नहीं छोड़ेंगे.’