अमेरिका में मोदी ने कई देशों के प्रमुखों से द्विपक्षीय बैठक की
Advertisement

अमेरिका में मोदी ने कई देशों के प्रमुखों से द्विपक्षीय बैठक की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संबंध में दस्तावेज आधारित वार्ता शुरू करने को मंजूरी मिलने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जॉर्डन, श्रीलंका, साइप्रस, स्विडन, भूटान, सेंट लुसिया जैसे देशों के शासनाध्यक्षों से मुलाकात की और आतंकवाद, आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन की चुनौतियों, सतत विकास लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन अदि ज्वलंत मुद्दों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा की।

अमेरिका में मोदी ने कई देशों के प्रमुखों से द्विपक्षीय बैठक की

न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संबंध में दस्तावेज आधारित वार्ता शुरू करने को मंजूरी मिलने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जॉर्डन, श्रीलंका, साइप्रस, स्विडन, भूटान, सेंट लुसिया जैसे देशों के शासनाध्यक्षों से मुलाकात की और आतंकवाद, आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन की चुनौतियों, सतत विकास लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन अदि ज्वलंत मुद्दों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा की।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर जॉर्डन के सुल्तान शाह अब्दुल्ला से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष खूंखार आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, साथ ही आतंक के खिलाफ लड़ाई में आतंकवाद से धर्म को अलग करने की जरूरत पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के बीच हुई बैठक के दौरान मानवाधिकार के मामलों और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् में जारी चर्चा की स्थिति पर बातचीत हुई ।

लिट्टे के साथ गृहयुद्ध के अंतिम चरण में कथित युद्ध अपराधों के मामले में नई श्रीलंका सरकार के रख में आए बड़े परिवर्तन को रेखांकित करते हुए भारत ने कहा है कि वह युद्ध अपराधों के पीड़ितों की न्याय की आकांक्षा का समर्थन करता है और साथ ही श्रीलंका की संप्रभुता का भी सम्मान करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, 'जहां तक भारत की बात है, तो हम स्वाभाविक रूप से न्याय की मांग का स्वागत करते हैं। साथ ही हम श्रीलंका की संप्रभुता का भी सम्मान करते हैं। हमें उम्मीद है कि एक ऐसा रास्ता मिलेगा जहां ये दोनों बिंदु और उद्देश्य मिल सकेंगे।’ मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने आतंकवाद से मुकाबले पर विचार विमर्श किया और महत्वाकांक्षी स्वेज नहर परियोजना में भारतीय निवेश की संभावनाएं टटोली। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि अरबों डॉलर की लागत वाली स्वेज नहर परियोजना का विस्तार हाल ही में शुरू हुआ है और इस परियोजना में भारत के लिए निवेश के अवसरों पर चर्चा हुई। मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति सीसी के बीच यह पहली मुलाकात थी। मिस्र के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला से मुलाकात के बाद स्वरूप ने बताया कि मोदी ने इस दौरान युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने से निपटने के तरीकों पर विचार किया।

स्वरूप ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने इस बात को माना कि आईएसआईएस अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को मजहब से अलग करने की जरूरत है।’ मोदी ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर लंबे समय से लंबित एक समग्र संधि के प्रस्ताव का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक सुर में बोले और इस वैश्विक संधि को स्वीकार करे।

मोदी ने सेंट ल्यूसिया के प्रधानमंत्री केनी डेविस एंथनी से भी संक्षिप्त मुलाकात की जिन्होंने भारतीय नेता को छोटे देशों को महत्व देने और उनकी समस्याएं उठाने के लिए धन्यवाद कहा।

प्रवक्ता ने कहा, ‘इस बारे में संक्षिप्त बातचीत हुई कि क्या दोनों नेताओं की इस साल के आखिर में माल्टा में राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों की होने जा रही बैठक में मुलाकात हो सकती है।’ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूटान में अपने समकक्ष शेरिंग तोबगे से मुलाकात भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद एक भारतीय राजनयिक ने बताया कि भारत ने भूटान में पनबिजली परियोजनाओं में सहयोग किया है और इसके पूरा होने पर 1.1 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन की बचत होगी। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को भूटानी नेता ने दूरदर्शी बताया। स्वरूप ने  संवाददाताओं को बताया कि दोनों नेताओं ने भूटान में भारत समर्थित पनबिजली परियोजना की बेहतर प्रगति की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘उपयोग के लिए उपलब्ध होने पर इन परियोजनाओं से 80 प्रतिशत बिजली भारत को निर्यात होगी और इससे हम 1.1 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन बचा पाएंगे।’ तोबगे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार के बाद भारत की स्थायी सदस्यता के लिए भूटान के समर्थन की भी बात कही।

स्वरूप ने कहा, ‘भूटान ने कहा कि यह असंगत है कि भारत जैसा देश अभी तक स्थायी सदस्य नहीं है।’ दोनों पक्षों के बीच सतत विकास के लक्ष्यों, जलवायु परिवर्तन, भारत की ओर से भूटान में क्रियान्वित लघु विकास परियोजनाओं की प्रगति और पर्यटन की संभावनाओं पर चर्चा हुई जो भारत-भूटान संबंधों के बीच एक और मजबूत सेतु का काम कर सकते हैं।

Trending news