मंगल ग्रह पर बहते पानी से गेल क्रेटर भरा
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मंगल ग्रह पर बहते पानी से गेल क्रेटर भरा

लगभग 3.3-3.8 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर मौजूद झरनों व झीलों ने गेल क्रेटर को तलछट से भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यही परतें उस पहाड़ की बुनियाद बनी, जिसे माउथ शार्प कहा जाता है। एक भारतवंशी वैज्ञानिक ने यह खुलासा किया।

मंगल ग्रह पर बहते पानी से गेल क्रेटर भरा

वॉशिंगटन: लगभग 3.3-3.8 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर मौजूद झरनों व झीलों ने गेल क्रेटर को तलछट से भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यही परतें उस पहाड़ की बुनियाद बनी, जिसे माउथ शार्प कहा जाता है। एक भारतवंशी वैज्ञानिक ने यह खुलासा किया।

नासा के मार्स साइंस लेबोरेटरी (एमएसएल) में परियोजना वैज्ञानिक अश्विन वसावडा ने कहा कि ऐसा लगता है कि अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर व्यापक वायुमंडल था और एक सक्रिय जलमंडल भी था, जहां झीलों में पानी जमा होता था। एमएसएल के दल ने कहा कि इसी जल ने गेल केट्रर को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वसावडा ने कहा,क्यूरियोसिटी रोवर के अवलोकन से पता चलता है कि वहां मौजूद उन झीलों व झरनों ने तलछट प्रदान करने का काम किया, जो धीरे-धीरे माउंट शार्प का निचले सतह के रूप में विकसित हुआ। मंगल ग्रह पर क्यूरियोसिटी रोवर के पहुंचने के पहले वैज्ञानिकों का विचार था कि गेल क्रेटर को तलछटों द्वारा भरा गया होगा।

कुछ संकल्पनाओं के मुताबिक, ये तलछट हवा में मौजूद धूल कणों व बालू से जमा हुए, जबकि कुछ अन्य के मुताबिक ये तलछट झीलों व झरनों से आए होंगे। हालिया शोध में यह बात पक्की हो गई है कि मंगल ग्रह पर मौजूद झरनों व झीलों ने गेल क्रेटर को तलछट से भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यही परतें उस पहाड़ की बुनियाद बनीं।

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