'पाक को अशांत करने के लिए भारत कर रहा है अफगान सरजमीं का इस्तेमाल'
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'पाक को अशांत करने के लिए भारत कर रहा है अफगान सरजमीं का इस्तेमाल'

नफीस जकारिया ने कहा, ‘‘पाकिस्तान का रुख बहुत स्पष्ट रहा है कि अफगानिस्तान में भारत की बढ़ी हुई भूमिका क्षेत्रीय स्थिरता के हित में नहीं होगी.’’

पाकिस्तान विदेश कार्यालय प्रवक्ता नफीस जकारिया. (फाइल फोटो)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि वह अफगानिस्तान में भारत को बड़ी भूमिका दिये जाने के खिलाफ है क्योंकि यह क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए अच्छा नहीं होगा. विदेश कार्यालय प्रवक्ता नफीस जकारिया ने संवाददाता सम्मेलन में भारत पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए अफगानिस्तान की सरजमीं का प्रयोग कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान का रुख बहुत स्पष्ट रहा है कि अफगानिस्तान में भारत की बढ़ी हुई भूमिका क्षेत्रीय स्थिरता के हित में नहीं होगी.’’ उन्होंने ये टिप्पणियां ऐसे समय कीं जब कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई दक्षिण एशिया नीति में भारत के लिए बढ़ी हुई भूमिका मांगी थी.

  1. जकारिया ने भारत पर पाकिस्तान को अस्थिर करने का आरोप लगाया.
  2. डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई दक्षिण एशिया नीति में भारत के लिए बढ़ी हुई भूमिका मांगी थी.
  3. पाकिस्तान ने कहा कि वह अफगानिस्तान में भारत को बड़ी भूमिका दिये जाने के खिलाफ है.

इससे पहले पाकिस्तान अफगान युद्ध की समाप्ति में मदद करने वाली एक चतुष्कोणीय शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की कोशिश में है और इसके लिए उसने सभी संबंधित समूह के सदस्यों को अगले सप्ताह ओमान में मिलने के लिए कहा है. 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान इस चतुष्कोणीय सहयोग समूह के सदस्य हैं.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पिछले सप्ताह अमेरिकी दौरे पर 'वॉयस ऑफ अमेरिका' को बताया था कि इस चतुष्कोणीय सत्र में इस्लामाबाद एक प्रमुख भूमिका निभाएगा, जिसका उद्देश्य अफगान तालिबान को बातचीत की मेज पर लाना है. यह समूह पहली बार जनवरी, 2016 में मिला था और अब तक समूह पांच बैठकें कर चुका है. आखिरी बार समूह की बैठक मई 2016 में पंजाब प्रांत के मरी शहर में आयोजित की गई थी.

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'डॉन न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, यह शांति प्रक्रिया शुरू से ही समस्याओं से घिर गई, जब सबसे पहले तालिबान ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसका कहना था कि जब तक उसे अफगान सरकार के समान दर्जा नहीं दिया जाता, तब वह इसका हिस्सा नहीं बनेगा. वहीं, जब तालिबान भाग लेने के लिए राजी हुआ तो काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए.

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान भी तालिबान पर अपना प्रभाव खो रहा है. आसिफ ने 'वीओए' से कहा, "तालिबान पर आज हमारा जो प्रभाव है वह अविश्वास से भरा है." उन्होंने कहा था कि उनका मानना है कि आज पाकिस्तान से तालिबान पर रूस का प्रभाव पड़ता है.

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