रामल्ला पहुंचने वाले पहले भारतीय पीएम बने नरेंद्र मोदी, मिला फिलस्तीन का सर्वोच्च सम्मान
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रामल्ला पहुंचने वाले पहले भारतीय पीएम बने नरेंद्र मोदी, मिला फिलस्तीन का सर्वोच्च सम्मान

अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद पीएम मोदी मकबरे के पास बने उनके संग्रहालय भी गए.

पीएम नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति अब्बास ने फिलस्तीन के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा. (PMO/10 Feb, 2018)

रामल्ला (वेस्ट बैंक): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ऐतिहासिक फिलस्तीन यात्रा पर शनिवार (10 फरवरी) को रामल्ला पहुंचे. इस दौरान वह राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मिले और फिलस्तीनी लोगों के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया. रामल्ला की यात्रा पर पहुंचने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. वह तीन देशों की यात्रा पर हैं. इसके बाद पीएम मोदी ने दिवंगत फिलस्तीनी नेता यासिर अराफात के मकबरे पर पुष्पचक्र अर्पित कर अपने यात्रा कार्यक्रम की शुरुआत की. उनके साथ उनके फिलस्तीनी समकक्ष रामी हमदल्ला भी थे. अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद पीएम मोदी मकबरे के पास बने उनके संग्रहालय भी गए.

  1. रामल्ला की यात्रा पर पहुंचने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. वह तीन देशों की यात्रा पर हैं.
  2. राष्ट्रपति अब्बास ने मोदी को ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलस्तीन’ से सम्मानित किया.
  3. पीएम मोदी ने दिवंगत फिलस्तीनी नेता यासिर अराफात के मकबरे पर पुष्पचक्र अर्पित किया.

15 माह पहले बने यासिर अराफात के संग्रहालय में पीएम मोदी ने करीब 20 मिनट बिताए. इस संग्रहालय में पूर्व फिलस्तीनी नेता की जीवन गाथा बताई गई है. अराफात संग्रहालय के निदेशक मुहम्मद हलायका के अनुसार, इस संग्रहालय का दौरा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं.

प्रधानमंत्री मोदी को फिलस्तीन के ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट’ से सम्मानित किया गया
फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भारत एवं फिलस्तीन के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को देखते हुए शनिवार (10 फरवरी) को उन्हें ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलस्तीन’ सम्मान से सम्मानित किया. दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक के समापन के बाद फिलस्तीन के राष्ट्रपति अब्बास ने मोदी को ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलस्तीन’ से सम्मानित किया.

मोदी फिलस्तीन की आधिकारिक यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. ‘ग्रैंड कॉलर’ विदेशी गणमान्यों - शाह, राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों एवं समान पद के व्यक्तियों को दिया जाने वाला फिलस्तीन का सर्वोच्च सम्मान है.

इससे पहले यह सम्मान सऊदी अरब के शाह सलमान, बहरीन के शाह हमाद, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग एवं अन्य को दिया जा चुका है.

प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘यह उनके कुशल नेतृत्व एवं उनके उत्कृष्ट राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कद को देखते हुए एवं फिलस्तीन राष्ट्र तथा भारतीय गणतंत्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की सराहना तथा क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए आजादी और हमारे लोगों के आजादी के हक को उनका समर्थन देने का सम्मान करते हैं.’

मोदी ने दिवंगत नेता यासर अराफात को श्रद्धांजलि अर्पित की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलस्तीन के दिवंगत नेता यासर अराफात के मकबरे पर 10 फरवरी को पुष्पचक्र चढ़ाया. फलस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान यह मोदी का पहला कार्यक्रम था. फिलस्तीन को भारत द्वारा एक देश के तौर पर मान्यता दिए जाने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली फिलस्तीन यात्रा है. मोदी जॉर्डन की सेना के एक हेलीकॉप्टर में सवार होकर अम्मान से सीधा रामल्ला आए, जहां उनका स्वागत फलस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने किया. हमदल्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी अराफात के मकबरे पर गए. 10 नवंबर 2007 को इस मकबरे का अनावरण हुआ था और यह फिलस्तीन के राष्ट्रपति भवन परिसर ‘मुकाटा’ के बगल में है.

मोदी ने अराफात का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, ‘‘अबु अम्मार महान वैश्विक नेताओं में से एक थे. फलस्तीन के लिए उनका योगदान ऐतिहासिक है.वह भारत के अच्छे मित्र थे. मैं उन्हें रामल्ला में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.’’ अराफात को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने हमदल्ला के साथ अराफात संग्रहालय की सैर की. यह संग्रहालय अराफात के मकबरे के पास ही है.

11वें महीने की 11 तारीख को अराफात का निधन
मकबरे की हर दीवार की लंबाई 11 मीटर है और उनसे एक क्यूब बनता है. यह 11वें महीने की 11 तारीख को हुए अराफात के निधन का सूचक है. अराफात के मकबरे के बगल में एक मीनार है जो 30 मीटर ऊंची है. मीनार के शीर्ष पर एक लेजर प्रणाली है जो यरूशलम की दिशा में रोशनी की बौछार करता है. फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात के बाद संयुक्त प्रेस बयान के दौरान मोदी ने कहा कि फिलस्तीन संघर्ष में अराफात का योगदान अविचल है.

अराफात आठ साल तक फिलस्तीन के राष्ट्रपति रहे
उन्होंने कहा, ‘‘वह भारत के अभिन्न मित्र थे. उनको समर्पित संग्रहालय में जाना मेरे लिए अविस्मरणीय पल था. मैं अबु अम्मार को एक बार फिर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.’’ साल 1929 में काहिरा में जन्मे अराफात का निधन 11 नवंबर 2004 को हुआ था. वह आठ साल तक फिलस्तीन के राष्ट्रपति रहे थे. साल 1990 में फिलस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के प्रमुख ने इस्राइल से वार्ता की थी और 1993 में उन्होंने ओस्लो समझौता किया जिससे फलस्तीन को पश्चिमी तट और गाजा पट्टी में स्वशासन प्राप्त हो सका. साल 1994 में अराफात ने इस्राइली नेता यित्झक राबिन और शिमोन पेरेज के साथ शांति का नोबेल पुरस्कार जीता.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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