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वाशिंगटन : ऐतिहासिक ‘यूएसए फ्रीडम एक्ट’ संबंधी विधेयक पर हस्ताक्षर कर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे एक कानून का रूप दे दिया है। यह कानून खुफिया एजेंसियों को एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने के लिए दबाव बनाता है, जिसके तहत टेलीफोनों से जुड़े व्यापक डाटा सरकार के पास नहीं, बल्कि दूरसंचार कंपनियों के पास रहेंगे।
ओबामा ने इस विधेयक पर कल देर रात हस्ताक्षर किए। इससे कुछ ही घंटे पहले सीनेट ने इस विधेयक के लिए 67-32 के अंतर से मतदान किया था। इसके साथ ही 9/11 हमले के बाद अमेरिका में बने सबसे विवादास्पद निगरानी कार्यक्रम को पलट दिया गया। रिपब्लिकन सांसदों के नियंत्रण वाली सीनेट द्वारा इस विधेयक के पक्ष में मतदान किए जाने से 36 घंटे पहले ‘पेट्रियट एक्ट’ के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों की अवधि खत्म हो गई।
ओबामा ने कहा, बेवजह की देरी और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा प्रशासन में अक्षम्य खामी के बाद, मेरा प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम करेगा कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवरों के पास हमारे देश की सुरक्षा जारी रखने के महत्वपूर्ण तरीके हों।
ओबामा ने कहा कि इस कानून को लागू करने से नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और इससे इन कार्यक्रमों में जनता का व्यापक विश्वास बनेगा। नया कानून उन लाखों अमेरिकी लोगों के टेलीफोन नंबरों, तिथियों, फोन कॉल की तिथियों एवं समय से जुड़ी जानकारी जुटाने एवं उसे अपने पास रखने की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की क्षमता को भी सीमित करता है, जिनका आतंकवाद से कोई संबंध है ही नहीं। एनएसए द्वारा अमेरिकी लोगों से जुड़ा व्यापक डाटा जुटाए जाने की बात का खुलासा पूर्व कॉन्ट्रैैक्टर एडवर्ड स्नोडेन ने किया था।
वहीं इस विधेयक के खिलाफ मतदान करने वाले सीनेटर एवं सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष जॉन मैक्केन ने कहा कि ‘यूएसए फ्रीडम एक्ट’ भविष्य में देश पर आतंकी हमलों को होने से रोकने के लिए जरूरी महत्वपूर्ण क्षमताएं खुफिया एजेंसियों को उपलब्ध नहीं कराता है। सूचना तकनीक उद्योग परिषद (आईटीआई) ने विधेयक के पारित होने और फ्रीडम एक्ट पर हस्ताक्षर का स्वागत किया है।