जुल्म के खिलाफ आवाज न कर सके बुलंद, पढ़े लिखे रोहिंग्या मुस्लिमों को बनाया गया निशाना
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जुल्म के खिलाफ आवाज न कर सके बुलंद, पढ़े लिखे रोहिंग्या मुस्लिमों को बनाया गया निशाना

म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना की ज्यादती से बचे लोगों का कहना है कि सेना ने पढ़े लिखे रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया.

पिछले साल 26 अगस्त को रोहिंग्या मुस्लिम अलगाववादियों ने पश्विमी म्यांमार में सेना की चौकियों पर हमला किया.(फाइल फोटो)

बलुखली शरणार्थी शिविर (बांग्लादेश): म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना की ज्यादती से बचे लोगों का कहना है कि सेना ने पढ़े लिखे रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया. समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों, बुजुर्गों और मजहबी नेताओं ने एसोसिएटिड प्रेस से कहा कि बौद्ध बहुल म्यांमा से मुस्लिम रोहिंग्याओं को खदेड़ने के लिए चलाए गए अभियान में समुदाय के पढ़े- लिखे लोगों को अलग किया गया. उन्हें पहले से ही व्यवस्थित तरीके से प्रताड़ित किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि सैनिकों ने पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाया ताकि समुदाय में ऐसा कोई नेता न बाकी रह जाए जो जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद कर सके.

मोहम्मद हाशिम ने कहा, ‘‘मेरा भाई सेना से अपनी जान बख्शने के लिए मन्नते करता रहा
मोहम्मद हाशिम ने कहा, ‘‘मेरा भाई सेना से अपनी जान बख्शने के लिए मन्नते करता रहा, माफी मांगता रहा.  उसने अपना पहचान पत्र भी दिखाया कि वह एक शिक्षक है, लेकिन सरकार की योजना हमारे शिक्षित लोगों को मारने की थी. ’’ वह उत्तरी रखाइन राज्य में पहाड़ों में जाकर छुप गया, क्योंकि उसके गांव को सेना ने घेर लिया था.  26 वर्षीय रहीम ने कहा कि 25 अगस्त के हमले के बाद सैनिक मौंग नू गांव आए और पूछने लगे कि शिक्षक कहां हैं?. इसी गांव में नरसंहार हुआ था. रहीम स्कूल में विज्ञान और गणित पढ़ाता था. 

रहीम ने कहा, ‘‘मैं जानता था कि अगर मैं उनके हाथ लग जाता तो मार दिया जाता था 
वह कई सैनिकों को जानता था क्योंकि वह स्थानीय बटालियन स्कूल में उनके बच्चों को पढ़ाता था. उसने जब सेना को आते हुए देखा तो वह भाग गया. रहीम ने कहा , ‘‘मैं जानता था कि अगर मैं उनके हाथ लग जाता तो मार दिया जाता था. वे मुझे ढूंढ रहे थे. वे जानते थे कि मैं लोगों के लिए आवाजा उठाता हूं. 

वे हमें तबाह करना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि हमारे बिना वे अन्य रोहिंग्या के साथ जो चाहे वो कर सकते हैं. पिछले साल 26 अगस्त को रोहिंग्या मुस्लिम अलगाववादियों ने पश्विमी म्यांमार में सेना की चौकियों पर हमला किया. इसके जवाब में सेना और स्थानीय बौद्धों ने समुदाय की महिलाओं का बलात्कार किया, नरंसहार किया और उनके घरों को आग लगा दी. इस वजह से रोहिंग्या समुदाय के 700,000 से ज्यादा लोगों ने बांग्लादेश में शरण ली.  

इनपुट भाषाा से भी 

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