कृत्रिम जीवन प्रणालियों को बनाने के और करीब पहुंचे वैज्ञानिक
Advertisement

कृत्रिम जीवन प्रणालियों को बनाने के और करीब पहुंचे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक एक कृत्रिम ‘प्रोटोसेल’ विकसित करने के एक कदम और करीब पहुंच गए हैं। यह अधिक बेहतर कृत्रिम जीवन तैयार करने के लिए एक बुनियादी चीज है।

लंदन : वैज्ञानिक एक कृत्रिम ‘प्रोटोसेल’ विकसित करने के एक कदम और करीब पहुंच गए हैं। यह अधिक बेहतर कृत्रिम जीवन तैयार करने के लिए एक बुनियादी चीज है।

दरअसल, ‘प्रोटोसेल’ सबसे सरल, सर्वाधिक प्रारंभिक जीवन प्रणाली है लेकिन एक कृत्रिम प्रोटोसेल बनाना कोई आसान बात नहीं है। इसलिए कोई भी यह कर पाने में सफल नहीं हो पाया है। ‘प्रोटेसेल’ लिपिड का स्व व्यवस्थित गोलाकार समूह होता है जबकि ‘लिपिड’ प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अणुओं का समूह है जिनमें वसा, मोम, वसा..घुलनशील विटामिन जैसे कि ए, डी, ई और के आदि शामिल होते हैं। लिपिड का मुख्य जैविक कार्य उर्जा का संचय करना है।

आधुनिक डीएनए या आरएनए की श्रृंखलाओं जैसी ऐसी सूचना श्रृंखलाओं की जरूरत कोशिका उपापचय (मेटाबोलिज्म) का नियंत्रण करने में और कोशिका को विखंडित होने के बारे में निर्देश मुहैया करने में पड़ती है। अब सेंटर फॉर फंडामेंटल लिविंग टेक्नोलॉजी (एलएलआईएनटी), यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न डेनमार्क के शोधार्थिओं ने सूचनाओं की श्रृंखला का एक कंप्यूटर प्रयोग में पता लगाया है।

एफएलआईएनटी के प्रमुख प्रोफेसर स्टीन रासमुसन ने बताया कि सूचना श्रृंखलाओं को बनाने की तरकीब ढूंढना कृत्रिम जीवन के बारे में काम करने वाले शोधार्थियों के लिए आवश्यक है। रासमुसन ने बताया कि हमारे कंप्यूटर प्रयोग में सूचना श्रृंखलाओं की तेजी से और प्रभावी रूप से प्रतिकृति बनने लगी जैसी कि हमें उम्मीद थी। उन्होंने बताया, हालांकि हम यह देखकर रूक गए कि प्रणाली ने जल्दी से समान संख्या में और लंबी सूचना श्रृंखलाएं विकसित कर दीं तथा आगे चलकर एक मजबूत चयन पद्धति बन गई।

उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया आगे चलकर एक नेटवर्क बनाएगी जो उपापचय और सूचना प्रणाली का एक प्रारंभिक रूप प्रदर्शित करेगा। यह खुद को पीढ़ी दर पीढ़ी दोहराता है। रासमुसन ने बताया कि हम एक ऐसी प्रक्रिया का पता लगा सके होंगे जिसने सर्वप्रथम जीवन की उत्पत्ति की थी। बेशक हम नहीं जानते कि क्या जीवन वाकई में इसी तरह से शुरू हुआ होगा..लेकिन यह इस सिलसिले में एक कदम रहा होगा। शायद, ऐसी ही एक प्रक्रिया ने लंबी सूचना श्रृंखलाओं के उच्च सकेंद्रण में योगदान दिया होगा जब प्रथम ‘प्रोटोसेल’ बना होगा। इस शोध का जिक्र जर्नल यूरोफिजिक्स लेटर्स में किया गया है।

Trending news