भारत ने चीन के CPEC की 'बेल्ट एंड रोड' पहल का नहीं किया समर्थन
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भारत ने चीन के CPEC की 'बेल्ट एंड रोड' पहल का नहीं किया समर्थन

कजाखस्तान, क्रिगिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने चीन की प्रस्तावित ‘बेल्ट एण्ड रोड पहल (बीआरआई)’ को अपना समर्थन दोहराया है.

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण. (DefenceMinIndia/Twitter/24 April, 2018)

बीजिंग: भारत ने चीन की महत्वकांक्षी परियोजना ‘बेल्ट एण्ड रोड’ पहल पर अपनी सहमति नहीं जताई है. हाल ही में यहां संपन्न हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने इस परियोजना की पुष्टि से अपने आप को अलग रखा, जबकि संगठन के अन्य आठ सदस्यों ने इसका समर्थन किया. एससीओ विदेश मंत्रियों की एक दिवसीय बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में बीते 24 अप्रैल को कहा गया, ‘‘कजाखस्तान, क्रिगिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने चीन की प्रस्तावित ‘बेल्ट एण्ड रोड पहल (बीआरआई)’ को अपना समर्थन दोहराया है.

  1. ‘बेल्ट एण्ड रोड’ पहल पर सहमति से भारत का इनकार.
  2. चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा इसी परियोजना का हिस्सा है.
  3. चीन-पाकिस्तान सीपीईसी इसी परियोजना का हिस्सा है.

बीआरआई परियोजना पर सहमति जताने वाले देशों की सूची में भारत का नाम स्पष्ट रूप से नहीं था. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इसी परियोजना का हिस्सा है. वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘पक्षों ने एससीओ क्षेत्र में एक व्यापक, खुली और आपसी लाभ की भागीदारी के लिए क्षेत्र के देशों, अंतरराष्टूीय संगठनों और बहुपक्षीय संस्थानों की क्षमता के इस्तेमाल का समर्थन किया है.’’ भारत और पाकिस्तान को इस संगठन में शामिल किया गया है. संगठन में चीन और रूस प्रभावशाली सदस्य हैं.

बैठक का आयोजन एससीओ शिखर सम्मेलन के एजेंडे को मंजूरी देने के लिए किया गया. शिखर बैठक जून में चीन के क्विंगदाओ शहर में होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवत: शिखर बैठक में भाग लेंगे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 24 अप्रैल को यहां संपन्न एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया. भारतीय अधिकारियों ने संयुक्त वक्तव्य में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वक्तव्य चीनी और रूसी भाषा में जारी किया गया था.

आपसी भरोसे की कमी से हुआ डोकलाम विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस हफ्ते होने वाली अनौपचारिक शिखर वार्ता से पहले चीन के एक शीर्ष राजनयिक ने मंगलवार (24 अप्रैल) को कहा कि डोकलाम विवाद भारत और चीन के बीच ‘‘परस्पर विश्वास की कमी’’ के कारण हुआ. उन्होंने साथ ही कहा कि दोनों देशों को अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने एवं धीरे-धीरे सीमा विवाद का हल करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले साल सिक्किम के पास डोकलाम इलाके में तनातनी हुई थी और दो महीने से ज्यादा समय तक गतिरोध बना रहा था.

उप विदेश मंत्री कोंग ने डोकलाम विवाद के बारे में पूछे जाने पर मीडिया से कहा, ‘‘पिछले साल (डोकलाम में) सीमा पर हुई घटना से एक तरह से दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास की कमी का पता चलता है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में डोकलाम मुद्दा और सीमा विवाद का मुद्दा भी उठेगा, कोंग ने कहा कि दोनों नेताओं ने अनौपचारिक शिखर वार्ता करने का फैसला किया ‘‘इसलिए नहीं कि सीमा से जुड़े सवाल अब भी अनसुलझे हैं और अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान हमें इसके बारे में बात करने की जरूरत है, बल्कि इसलिए क्योंकि दोनों देश विदेश रणनीति में एक दूसरे को बेहद महत्व देते हैं.’’

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