पाकिस्तान में कव्वाल अमजद साबरी के परिवार को सता रहा मौत का डर
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पाकिस्तान में कव्वाल अमजद साबरी के परिवार को सता रहा मौत का डर

पाकिस्तान में पिछले साल कव्वाल और सूफियाना संगीत के बड़े नाम अमजद साबरी की हत्या कर दी गई थी. अब उनके परिवार को भी अपनी मौत का डर सताने लगा है. ऐसे में  अमजद साबरी का परिवार पाकिस्तान छोड़कर लंदन जाने की तैयारी कर रहा है.

पाकिस्तान छोड़ जा रहा कव्वाल अमजद साबरी का परिवार (PIC : DNA)

नई दिल्ली : पाकिस्तान में पिछले साल कव्वाल और सूफियाना संगीत के बड़े नाम अमजद साबरी की हत्या कर दी गई थी. अब उनके परिवार को भी अपनी मौत का डर सताने लगा है. ऐसे में  अमजद साबरी का परिवार पाकिस्तान छोड़कर लंदन जाने की तैयारी कर रहा है.

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से अमजद के भाई अजमत साबरी का कहना है कि उनके परिवार को लग रहा है कि उन पर निगाह रखी जा रही है. उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर डर सता रहा है.

अजमत के मुताबिक इन हालात में पाकिस्तान में रहना मुश्किल हो गया है. अगर उन्हें कल ही वीजा मिल जाए तो वे लंदन चले जाएंगे. वहां उनका एक भाई पहले से रहता है. हालांकि अजमत ने माना है कि उनके परिवार को कोई धमकी नहीं मिली है और अब भी अपने शहर लिकायताबाद को बेहद प्यार करते हैं.

23 जून, 2016 में हुई थी अमजद की हत्या

23 जून, 2016 में कराची में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने सूफी कव्वाल अमजद साबरी को तीन गोलियां मारी थीं. आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. 45 साल के गायक और उनके एक सहयोगी कराची के भीड़भाड़ वाले लियाकतबाद 10 इलाके में कार से सफर कर रहे थे तभी मोटरसाइकिल सवार बंदूकधारियों ने उनके वाहन पर गोलियां चलायीं जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. दोनों को अब्बासी शहीद अस्पताल ले जाया गया, जहां साबरी ने दम तोड़ दिया था.

‘ईश निंदक’ बता की हत्या

तालिबान से टूट कर अलग हुए हकीमुल्ला महसूद गुट ने हत्या की जिम्मेदारी ली है। संगठन के प्रवक्ता कारी सैफुल्ला महसूद ने कहा कि उसने साबरी की हत्या इसलिए की क्योंकि वह ‘ईश निंदक’ था।

इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने साल 2014 में ईश निंदा के एक मामले में दो निजी चैनलों को एक नोटिस जारी किया था जिन्होंने सुबह के एक कार्यक्रम में एक कव्वाली चलाई थी। कार्यक्रम में एक नकली शादी को धार्मिक हस्तियों संबंधी एक कव्वाली के साथ मिलाकर दिखाकर गया था। इस कव्वाली को साबरी ने गाया था।

भर दे झोली मेरी या मोहम्मद...

साबरी की सबसे प्रसिद्ध और यादगार कव्वालियों में ‘भर दो झोली’, ‘ताजदार-ए-हरम’ और ‘मेरा कोई नहीं है तेरे सिवा’ शामिल हैं। साबरी ने यूरोप और अमेरिका में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे। उन्हें गायिकी की आधुनिक शैली के लिए कव्वाली का ‘‘रॉकस्टार’’ कहा जाता था। अमजद साबरी मशहूर कव्वाल मकबूल साबरी के भतीजे थे.

2011 में अपने इंतकाल से पहले मकबूल साबरी ने अपने भाई मरहूम गुलाम फरीद साबरी के साथ मिलकर कव्वाली गायन में खूब नाम कमाया था. उसी परंपरा को मकबूल के भतीजे अमजद साबरी आगे बढ़ा रहे थे. वह पाकिस्तान के सबसे नामी कव्वाल बन चुके थे.

दुनिया भर में चर्चित हुए साबरी ब्रदर्स

उत्तर भारत और पाकिस्तान में मशहूर कव्वाली को इन दो भाइयों ने ही दुनियाभर में पहचान दिलाई. पश्चि‍मी देशों में इनका पहला शो अमेरिका में हुआ, जब 1975 में न्यूयॉर्क के कार्नेजी हॉल में इन्होंने परफॉर्मेंस दिया.

कायम रखी अपने परिवार की परंपरा

अमजद फरीद साबरी दिवंगत गुलाम फरीद साबरी के बेटे थे. गुलाम फरीद साबरी का जन्म 1930 में अविभाजित पंजाब के रोहतक में हुआ था. बंटवारे के बाद इनका परिवार पाकिस्तान के कराची में शिफ्ट हो गया. अपने परिवार की परंपरा को कायम रखते हुए अमजद फरीद साबरी ने भी खूब नाम कमाया. 

'बजरंगी भाईजान' के एक गाने पर हुआ था विवाद

सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' के एक गाने को लेकर साबरी चर्चा में रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके दिवंगत पिता गुलाम फरीद साबरी की प्रसिद्ध कव्वाली ‘भर दो झोली’ को ‘बजरंगी भाईजान’ में उनकी इजाजत के बिना शामिल किया गया.

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