पेरिस: ट्रंप के वि‍रोध में टॉपलेस हुई महिला, कार्यक्रम में उपराष्‍ट्रपत‍ि नायडू भी थे मौजूद
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पेरिस: ट्रंप के वि‍रोध में टॉपलेस हुई महिला, कार्यक्रम में उपराष्‍ट्रपत‍ि नायडू भी थे मौजूद

उस महिला प्रदर्शनकारी ने अपने शरीर पर 'फेक' और 'पीस' (शांति) शब्द छपवा रखे थे.

फोटो साभार ANI.

पेरिस: पहले विश्वयुद्ध की समाप्ति के सौ साल पूरे होने पर पेरिस के ऐतिहासिक आर्क दे त्रायोंफ में रविवार को आयोजित में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, डोनाल्ड ट्रंप समेत विश्व के कई नेता शामिल हुए. इस दौरान जब डोनाल्ड ट्रंप का काफिला आ रहा था तो एक टॉपलेस प्रदर्शनकारी ने सुरक्षा घेरा तोड़कर ट्रंप के नजदीक जाने की कोशिश की. सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उस प्रदर्शनकारी को वहां से हटाया. उस महिला प्रदर्शनकारी ने अपने शरीर पर 'फेक' और 'पीस' (शांति) शब्द छपवा रखे थे.

इस कार्यक्रम में फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमनुएल मैंक्रो, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दर्जनों विश्वनेता प्रथम विश्वयुद्ध युद्धविराम दिवस शताब्दी कार्यक्रम में उपस्थित हुए. आर्क दे त्रायोंफ युद्ध स्मारक के तल पर आयोजित कार्यक्रम से 1914 से 1918 तक चार साल तक चले प्रथम विश्वयुद्ध के खत्म होने की 100वीं जयंती कार्यक्रम का समापन हो गया. इस युद्ध में एक करोड़ 80 लाख लोगों की जानें गईं जिनमें अनेक भारतीय सैनिक थे.

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नायडू ने हजारों भारतीय सैनिकों की याद में उत्तरी फ्रांस में भारत द्वारा निर्मित पहले युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया.

इससे पहले मैंक्रो ने एलिसी पैलेस में नायडू की अगवानी की. वेंकैया नायडू तीन दिन की फ्रांस यात्रा पर आए हुए हैं. शनिवार को, नायडू ने उत्तर फ्रांस में भारत की ओर से बने पहले युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. स्मारक का निर्माण पहले विश्वयुद्ध में लड़ते हुए मारे गए हजारों भारतीय सैनिकों की याद में किया गया है.

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भारतीय सैनिक 1914 के शरद के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर तैनात थे. उन्होंने ईप्रे की पहली जंग में हिस्सा लिया. 1915 के अंत तक भारतीय सैनिक लगातार हताहत हुए. कई सैनिकों की मौत बीमारियों से हुई. इसके मद्देनजर भारतीय कोर को युद्ध के अग्रिम मोर्चे से हटाने का फैसला किया गया. पहले विश्वयुद्ध में करीब आठ लाख सैनिक युद्ध के लगभग सभी मोर्चे पर लड़े. करीब 15 लाख ने स्वेच्छा से लड़ने की पेशकश की थी. इनमें से 47,746 को मृत या लापता और 65,000 को घायल के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया.

इस विश्वयुद्ध में भारतीय कोर ने 13,000 शौर्य मेडल जीते जिनमें 12 विक्टोरिया क्रॉस शामिल हैं. खुदादाद खान ने पहला विक्टोरिया क्रॉस जीता था. इस युद्ध के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था तकरीब दिवालिया की स्थिति में चली गई थी.

(इनपुट-भाषा से भी)

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