श्रीलंका के हालात को लेकर अमेरिका चिंतित, बाहरी कर्ज की स्थिति पर भी चिंता जताई
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श्रीलंका के हालात को लेकर अमेरिका चिंतित, बाहरी कर्ज की स्थिति पर भी चिंता जताई

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस की एशिया-प्रशांत क्षेत्र की यात्रा से पहले एक कांफ्रेंस कॉल में अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर पत्रकारों को बताया, ‘‘निश्चित तौर पर हम श्रीलंका में हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं.’’ 

(फाइल फोटो)

वॉशिंगटन : अमेरिका ने शनिवार को कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की ओर से संसद भंग कर दिए जाने के बाद वह इस द्वीपीय देश के हालात पर करीबी नजर रखे हुए है. व्हाइट हाउस ने श्रीलंका के बाहरी कर्ज की स्थिति पर भी चिंता जताई.

सिरिसेना ने शुक्रवार को संसद भंग कर दी और आगामी पांच जनवरी को चुनाव कराने की घोषणा की. उन्होंने यह कदम तब उठाया जब स्पष्ट हो गया कि संसद में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं है. सिरिसेना ने विवादित हालात में राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस की एशिया-प्रशांत क्षेत्र की यात्रा से पहले एक कांफ्रेंस कॉल में अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर पत्रकारों को बताया, ‘‘निश्चित तौर पर हम श्रीलंका में हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं.’’ 

अधिकारी से श्रीलंका के ताजा हालात पर सवाल किया गया था. उन्होंने श्रीलंका के बाहरी कर्ज की स्थिति पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने विकास सहायता के नाम पर काफी कर्ज लिया था और इसमें बढ़ोतरी होती गई.

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किसी खास परियोजना का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में से कई की वाणिज्यिक देनदारी सवालों के घेरे में है. उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका श्रीलंका के मौजूदा हालात को देख रहा है और बहुत करीबी से इसका अध्ययन कर रहा है.’’ 

इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अमेरिका इस समाचार से काफी चिंतित है कि श्रीलंका की संसद भंग कर दी जाएगी. इससे राजनीतिक संकट और गहरा जाएगा.’’ 

ब्यूरो ने कहा, ‘‘श्रीलंका का प्रतिबद्ध साझेदार होने के नाते हमारा मानना है कि स्थिरता एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं का सम्मान करने की जरूरत है.’’ 

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