पाकिस्‍तान की यूनिवर्सिटी का फरमान- '6 इंच की दूरी' बनाकर रखें लड़के-लड़कियां
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पाकिस्‍तान की यूनिवर्सिटी का फरमान- '6 इंच की दूरी' बनाकर रखें लड़के-लड़कियां

पाकिस्‍तान के मशहूर अखबार डॉन ने इसको रिपोर्ट करते हुए कहा है कि बाहरिया(Bahria) यूनिवर्सिटी ने ड्रेस कोड पॉलिसी के तहत ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

पाकिस्‍तान की बाहरिया यूनिवर्सिटी ने जारी किया नया ड्रेस कोड.(प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान की एक यूनिवर्सिटी अपने अजीबोगरीब फरमान के कारण अचानक सुर्खियों में आ गई है. दरअसल इस यूनिवर्सिटी ने अपने छात्र-छात्राओं को एक नोटिस जारी कर कहा है कि वे कैंपस में हर वक्‍त कम से कम छह इंच की दूरी बनाए रखें. पाकिस्‍तान के मशहूर अखबार डॉन ने इसको रिपोर्ट करते हुए कहा है कि बाहरिया(Bahria) यूनिवर्सिटी ने ड्रेस कोड पॉलिसी के तहत ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

  1. पाकिस्‍तान की बाहरिया यूनिवर्सिटी ने जारी किया फरमान
  2. कराची, लाहौर और इस्‍लामाबाद में इसके कैंपस हैं
  3. छात्रों और टीचरों ने किया इस नियम का विरोध

इस सर्कुलर में कहा गया है, ''सभी छात्रों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह यूनिवर्सिटी कैंपस में ड्रेस कोड का सख्‍ती से पालन करें. जो भी इन नियमों का उल्‍लंघन करेंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी. एक साथ बैठने की स्थिति में छात्र-छात्राओं को कम से कम छह इंच की दूरी बनाकर रखनी होगी.'' यह नया नियम कराची, लाहौर और इस्‍लामाबाद के तीनों यूनिवर्सिटी कैंपस में लागू होगा.

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छात्रों का विरोध
इस नोटिस के जारी होते ही यूनिवर्सिटी में बवाल मच गया है. छात्र इसका मुखर विरोध कर रहे हैं. एक छात्र ने कहा, ''क्‍या यह अपेक्षा की जा रही है कि इस दूरी को बनाए रखने के लिए हम लोग हमेशा स्‍केल लेकर चलें.'' टीचर एसोसिएशन भी इस मामले में छात्रों का साथ दे रहे हैं. ऑल पाकिस्‍तान यूनिवर्सिटीज अकेडमिक स्‍टाफ एसोसिएशन फेडरेशन (FAPUASA) ने बाहरिया यूनिवर्सिटी को खत लिखकर कहा है कि वह इस नियम को वापस ले. इस बीच यूनिवर्सिटी के प्रवक्‍ता ने इस नियम का बचाव करते हुए कहा है कि छह इंच दूरी कोई वास्‍तविक पैमाना नहीं है. इसका आशय महज छात्र-छात्राओं के बीच कम से कम एक निश्चित दूरी बनाए रखने से है.

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इस बीच इसका समर्थन करने वाले कई लोगों ने कहा है कि भारत में भी इस तरह के ड्रेस कोड समय-समय पर यूनिवर्सिटी, स्‍कूलों में लागू होते रहते हैं. इसका मकसद नैतिक आचार संहिता से है. वहीं इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि इस तरह के नियम यह जाहिर करते हैं कि पाकिस्‍तान में कट्टरवादी ताकतों की गिरफ्त में फंसता जा रहा है.

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