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वाशिंगटन : अमेरिका अफगान तालिबान को आतंकवादी समूह नहीं मानता है। उसकी नजर में वह एक ‘सशस्त्र विद्रोह’ भर है। जबकि इस्लामिक स्टेट (आईएस) एक आतंकवादी समूह है।
व्हाइट हाउस के उप प्रवक्ता एरिक स्कल्त्ज ने इन दो संगठनों के बीच विवादस्पद अंतर किया है। उन्होंने सवालों के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘तालिबान एक सशस्त्र विद्रोह है। आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवांत) एक आतंकवादी समूह है। इसलिए हम आतंकवादी समूहों को रियायत नहीं देते।’ दूसरी बार पूछे जाने पर कि क्या तालिबान आतंकवादी समूह है तो स्कल्त्ज ने कहा, ‘मैं नहीं समझता तालिबान, ..तालिबान एक सशस्त्र विद्रोह है।’
इस सवाल पर कि जॉर्डन की सरकार की ओर से आईएसआईएल के साथ कैदी की अदला-बदली का फैसला और अमेरिका द्वारा अपने सैन्यकर्मी बोवे बर्गडल के लिए तालिबान के पांच सदस्यों को रिहा करने का फैसला एक जैसे हैं तो उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं कि इस पर उस वक्त काफी चर्चा हुई थी और संघर्ष की स्थिति के खत्म होने पर आम तौर से कैदियों की अदला-बदली होती है।’
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में युद्ध खात्मे पर है, हमने महसूस किया कि यह ऐसा करने का उचित समय है। कमांडर इन चीफ के रूप में राष्ट्रपति की प्रतिबद्धता है कि किसी पुरूष अथवा महिला को पीछे नहीं छोड़ा जाए। इसी सिद्धांत के साथ वह काम कर रहे हैं।’
अमेरिकी विदेश विभाग ने तालिबान को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया है, हालांकि उससे जुड़े समूहों तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क को उसने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। अमेरिका ने अफगान तालिबान के सरगना मुल्ला उमर के ऊपर एक करोड़ डॉलर का ईनाम रखा है।