अमेरिका: यात्रा प्रतिबंध पर अदालत में डोनाल्ड ट्रंप को मिली जीत
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अमेरिका: यात्रा प्रतिबंध पर अदालत में डोनाल्ड ट्रंप को मिली जीत

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप के इमिग्रेंट-विरोधी फैसले को रोकने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

इमिग्रेंट-विरोधी फैसले की याचिका खारिज (फाइल फोटो- zee)

वाशिंगटन: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप के इमिग्रेंट-विरोधी फैसले को रोकने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. हालांकि इस फैसले की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है ऐसे में अदालत का यह फैसला रिपब्लिकन पार्टी के लिए सांकेतिक जीत है. दरअसल यह यात्रा प्रतिबंध 90 दिनों के लिए था और फैसला आने से पहले ही समाप्त हो चुका है. इसके जरिए अमेरिका में मुस्लिम बहुल आबादी वाले छह देशों के लोगों के देश में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था.

  1. इमिग्रेंट-विरोधी फैसले की याचिका खारिज
  2. रिपब्लिकन पार्टी के लिए सांकेतिक जीत
  3. फैसले की अवधि पहले ही हो चुकी खत्म

छह मार्च को आए इस आदेश का मेरीलैंड और हवाई ने विरोध किया था. बाद में इसे नलंबित कर दिया गया था. वर्जीनिया के रिचमंड और कैलिफोर्निया के सान फ्रांसिस्को स्थित अपीलीय अदालत ने क्रमश: मई और जून में फैसले के निलंबन को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने कल मेरीलैंड के फैसले के विरुद्ध अपील को खारिज कर दिया था.

इमिग्रेंट्स को निर्वासन से बचाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने रखी शर्त
बचपन में गैरकानूनी रूप से अमेरिका आने वाले हजारों आप्रवासी युवाओं को निर्वासन से बचाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सांसदों के सामने शर्त रखी कि यदि वो ऐसा चाहते हैं तो इसके एवज में उनकी कठोर इमिग्रेशन प्राथमिकताओं को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा. ट्रंप के इस मांग की सूची में देश की ग्रीन-कार्ड प्रणाली में पूरा परिवर्तन करना, अकेले देश में प्रवेश करने वाले नाबालिगों पर रोक लगाने और दक्षिणी सीमा पर दीवार का निर्माण करना शामिल है.

क्यों लड़ रही हैं डोनाल्ड ट्रंप की पहली और तीसरी पत्नी?

कई डेमोक्रेट्स नेता का कहना है कि इन नीतियों के कारण 'ड्रीमर्स' के नाम से लोकप्रिय युवा अप्रवासियों की सुरक्षा के लिए चल रही वार्ता पटरी से उतर जाएगी.

उल्लेखनीय है कि बचपन में गैरकानूनी रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वाले बच्चों को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए) कार्यक्रम के तहत उन्हें निर्वासन से बचाकर यहां कानूनी रूप से काम करने का अधिकार दिया था. 

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