ZEE जानकारी: दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में नहीं हुई है 3 सालों से बारिश
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ZEE जानकारी: दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में नहीं हुई है 3 सालों से बारिश

16 अप्रैल 2018. ये वो तारीख है जब Cape Town में पानी पूरी तरह खत्म हो जाएगा. और वहां जनता के लिए होने वाली जल आपूर्ति रुक जाएगी. दुनिया इस दिन को Day Zero कह रही है.

ZEE जानकारी: दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में नहीं हुई है 3 सालों से बारिश

क्या आप कभी ये कल्पना भी कर सकते हैं कि अगर किसी शहर में पानी पूरी तरह खत्म हो जाए तो क्या होगा ? आपके मन में कभी ये सवाल नहीं आया होगा क्योंकि आप ये मानकर चलते हैं कि जब भी नल खोला जाएगा... तो उसमें पानी ज़रूर आएगा. लेकिन हम 21वीं सदी के एक ऐसे दौर में अपना जीवन जी रहे हैं जहां पानी की सप्लाई की कोई गारंटी नहीं है. ज़रा सोचिए कि अगर दिल्ली या मुंबई, जैसे शहरों में, पानी पूरी तरह खत्म हो जाए, तो क्या होगा? ये अपने आप में सबसे बड़ी Emergency होगी. और हालात किसी युद्ध के मैदान जैसे होंगे. आप खुशकिस्मत हैं कि भारत में अभी ऐसा दौर नहीं आया है,... लेकिन दक्षिण अफ्रीका के Cape Town में पानी खत्म होने की तारीख तय हो गई है.

16 अप्रैल 2018. ये वो तारीख है जब Cape Town में पानी पूरी तरह खत्म हो जाएगा. और वहां जनता के लिए होने वाली जल आपूर्ति रुक जाएगी. दुनिया इस दिन को Day Zero कह रही है. इसका अर्थ है 'शून्य का दिन'. ये नाम Cape Town के लिए एकदम सटीक है... क्योंकि जिस शहर में पानी ही खत्म हो जाए... उसकी जीवन रेखा टूट जाती है... और उसकी खुशहाली के दिन खत्म हो जाते हैं. आसान भाषा में Day Zero का मतलब है Cape Town की कयामत... यानी सबकुछ खत्म. सुनने में ये Hollywood की किसी फिल्म जैसा लगता है, लेकिन साउथ अफ्रीका के लिए ये एक बहुत बड़ी त्रासदी है.

साउथ अफ्रीका के दूसरे सबसे बड़ी आबादी वाले शहर Cape Town में तीन वर्षों से बारिश नहीं हुई है. इस शहर में एक बांध है जहां से शहर को पानी की सप्लाई होती है. वर्ष 2014 में जब Cape Town में बारिश हुई थी तब ये बांध पानी से भरा हुआ था, लेकिन अब यहां पानी खत्म होने वाला है. तब किसी को भी अंदाज़ा नहीं था कि 2014 के बाद अगले 3 वर्षों तक Cape Town में बारिश ही नहीं होगी. यहां लगातार 3 वर्षों से सूखा पड़ा हुआ है. ये दुनिया का पहला बड़ा शहर होगा जहां पानी पूरी तरह खत्म हो जाएगा 

इस शहर का दुर्भाग्य देखिए... ये शहर समुद्र के किनारे पर मौजूद है. इस शहर के सामने बहुत सारा पानी है, लेकिन ये पानी इस्तेमाल करने लायक नहीं है. यहां पानी को शुद्ध करने के लिए अब तक कोई बड़ा System तैयार नहीं हो पाया है. वहां की सरकार जल्द से जल्द पानी को साफ करने वाले Treatment Plants लगाना चाहती है लेकिन किसी को भी ये अनुमान नहीं था कि Day Zero की तारीख इतनी ज़ल्दी... सामने आ जाएगी. 

Cape Town में हर हफ्ते Day Zero की तारीख तय की जाती है. पानी की उपलब्धता और पानी के इस्तेमाल के आधार पर Day Zero की नई तारीख तय होती है. Day Zero की तारीख बदलने के साथ ही शहर में पानी को इस्तेमाल करने के नियम भी बदल जाते हैं. Day Zero की तारीख अब 16 अप्रैल तय की गई है. और इसमें अब सिर्फ 72 दिन ही बचे हैं. लेकिन इन 72 दिनों में भी Cape Town के लोगों को बहुत कम पानी मिल रहा है. Cape Town के प्रशासन ने यहां के निवासियों से अपील की है कि वो प्रतिव्यक्ति सिर्फ़ 50 लीटर पानी का इस्तेमाल करें. 

16 अप्रैल यानी Day Zero के दिन Cape Town के लोगों के घरों में लगे नल पूरी तरह सूख जाएंगे. उनमें एक बूंद पानी भी नहीं आएगा. 16 अप्रैल से Cape Town में सिर्फ़ अस्पतालों और कुछ ज़रूरी जगहों पर ही पानी की सप्लाई होगी. Cape Town में कुल 200 सरकारी जलस्रोत हैं. Cape Town के लोगों को पानी लेने के लिए इन जगहों पर जाना होगा. Cape Town की आबादी 40 लाख है. इस हिसाब से एक सरकारी जलस्रोत पर कुल 20 हज़ार लोग इकट्ठा होंगे. ऐसी जगहों पर एक व्यक्ति को सिर्फ 25 लीटर पानी दिया जाएगा.

ऐसे हालात में पानी के लिए दंगे होने की आशंका है. इसलिए यहां शांति और व्यवस्था बनाए रखना..  सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी. इन जगहों पर पानी की रखवाली के लिए सरकार सुरक्षाकर्मियों को तैनात करेगी ताकि कोई भी तय मात्रा से ज़्यादा पानी ना ले सके. वहां की सरकार को ये समझ में नहीं आ रहा है कि वो Cape Town के 40 लाख लोगों को पानी कहां से देगी ? जैसे-जैसे पानी के खत्म होने की तारीख नज़दीक आ रही है... वैसे-वैसे इस शहर के लोगों की धड़कनें तेज़ होती जा रही हैं. लोग बहुत परेशान हैं और ये सोच रहे हैं कि 16 अप्रैल के दिन जब प्यास लगेगी तो वो क्या करेंगे ? बिना पानी के खाना कैसे बनेगा ? ऐसे में बुज़ुर्ग और बच्चे कैसे जीवित रह पाएंगे? पानी के बिना केपटाउन उसी तरह बर्बाद हो जाएगा, जैसे दूसरे विश्व युद्ध में बमबारी की वजह से कई शहर बर्बाद हो गए थे. जो हालत Cape Town की है वैसी ही हालत भारत के कई इलाक़ों की है.. लेकिन उनके बारे में कोई बात नहीं करता.

Cape town की ये हालत देखकर आप सोच रहे होंगे कि आप कितने सौभाग्यशाली हैं कि आपका जन्म भारत जैसे देश में हुआ है. भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसकी 80 प्रतिशत भूमि उपजाऊ है क्योंकि यहां बहुत बड़ी संख्या में नदियां हैं. देश में 10 बड़ी नदियां हैं. इन बड़ी नदियों से भी सैकड़ों छोटी-छोटी नदियां निकलती हैं जिससे भारत की 133 करोड़ की आबादी को एक खुशहाल जीवन मिलता है. 

लेकिन भारत में भी भूमिगत जल का स्तर लगातार बहुत तेज़ी से घट रहा है. World Bank की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक भारत के 21 शहरों में भूमिगत जल पूरी तरह खत्म हो जाएगा. World Resources Institute की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 54 प्रतिशत भूमि में भूमिगत जल का स्तर बहुत तेज़ी से घट रहा है. इसलिए भारत के भी बहुत सारे शहरों की हालत जल्द ही Cape Town जैसी हो सकती है. 

वर्ष 2030 तक भारत को डेढ़ लाख करोड़ Cubic meter पानी की ज़रूरत होगी. अभी भारत को 74 हज़ार करोड़ Cubic meter पानी हर वर्ष मिल रहा है. Central Ground Water Board और Pre-monsoon water level data के विश्लेषण से ये पता चलता है कि भारत के 61 प्रतिशत कुओं का जलस्तर बहुत कम हो चुका है.

भारत के जल-संसाधन मंत्रालय के मुताबिक देश के कुल 13 राज्य... यानी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान के 300 ज़िलों में पीने लायक पानी की कमी है. 

आंकड़ों के Lens से देखा जाए.. तो देश के 18 राज्य ऐसे हैं, जहां Ground Water तेज़ी से कम हो रहा है. इनमें सबसे बुरा हाल तमिलनाडु का ही है. तमिलनाडु में करीब 374 इलाके ऐसे हैं.. जहां Ground Water की स्थिति बहुत चिंताजनक है. इन इलाकों में ज़मीन से जितना पानी निकाला जा रहा है, उसके मुकाबले बहुत कम पानी वापस ज़मीन में पहुंच पाता है. पिछले साल मार्च में Central Water Commission ने एक रिपोर्ट जारी की थी, इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में क्षमता के मुकाबले सिर्फ 41 प्रतिशत पानी मौजूद है.

इसी रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मौजूद 31 जलाशयों में सिर्फ 20 प्रतिशत पानी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के किसान..चीन के मुकाबले दोगुना भूमिगत जल खर्च करते हैं. विडंबना ये है कि ज़मीन के ज़्यादा बड़े हिस्से पर खेती करने और ज़्यादा पानी इस्तेमाल करने के बावजूद..चीन के मुकाबले भारत में चावल का उत्पादन कम होता है. और आने वाले समय में भारत के कृषि क्षेत्र की ये प्यास और बढ़ने वाली है.. भारत में 2050 तक कृषि क्षेत्र में पानी की मांग में 80% से भी ज़्यादा का इज़ाफा होगा.

अब जो आंकड़े हम आपको दिखाने जा रहे हैं, ये आपको बहुत परेशान कर सकते हैं. क्योंकि इन चीज़ों का सेवन करते हुए आप कभी ये ध्यान नहीं देते होंगे कि इनके उत्पादन पर कितना पानी बर्बाद होता है. 

एक किलो सेब उगाने में करीब 700 लीटर पानी लगता है. एक किलो केले उगाने में 860 लीटर पानी लगता है. 250 ML बीयर बनाने में 75 लीटर पानी बर्बाद होता है. एक किलो चॉकलेट तैयार करने में 24 हज़ार लीटर पानी की बर्बादी होती है. एक किलो खजूर उगाने में 3 हज़ार लीटर पानी लगता है. एक किलो आम उगाने में 16 सौ लीटर पानी खर्च होता है. और यहां तक कि 1 किलो चीनी तैयार करने में भी 3 हज़ार 400 लीटर पानी की बर्बादी होती है. 

अब आप जब भी इन चीजों को खाएं तो ये ज़रूर ध्यान रखें कि इन्हें तैयार करने में हज़ारों लीटर पानी लगा है. इसलिए आपसे भी हमारी अपील यही है कि जहां तक हो सके पानी बचाएं. हो सकता है कि आपके घर में पानी की सप्लाई ठीक हो. लेकिन ये ध्यान रखें कि आपका बचाया हुआ पानी आपकी आने वाली पीढ़ियों के काम आएगा.

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