मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का हिस्सा हैं या नहीं!

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के एडवांस लिस्ट में 28 सितंबर को इस मामले में फैसला लिस्टेड है। इससे पहले 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट टाइटल सूट से पहले इस पहलू पर सुनवाई कर रहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नही। कोर्ट ने ये कहा था पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। इसके बाद ही टाइटल सूट पर विचार होगा। आपको बता दें कि 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था जिससे हिंदू पूजा कर सकें...संविधान पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। इसके बाद 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था।

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के एडवांस लिस्ट में 28 सितंबर को इस मामले में फैसला लिस्टेड है। इससे पहले 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट टाइटल सूट से पहले इस पहलू पर सुनवाई कर रहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नही। कोर्ट ने ये कहा था पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। इसके बाद ही टाइटल सूट पर विचार होगा। आपको बता दें कि 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था जिससे हिंदू पूजा कर सकें...संविधान पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। इसके बाद 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था।

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