संगठन : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बनने की कहानी

1930 के समय का हिंदू समाज जाति भेद, भाषा भेद, प्रांत भेद, अश्पृश्यता जैसे वर्गों में बंटा था. डॉ हेडगेवार ने रोजाना लगने वाली शाखा में इन भेदों को मिटा दिया. उन्होंने हिन्दू नाम की सबसे बड़ी रेखा खींच दी लेकिन फिर भी RSS पर ब्राह्मणवादी संगठन होने का आरोप लग गया. बात 1932 की है जब संघ के शीतकालीन अधिवेशन के शिविर में उच्च जाति के स्वयंसेवकों ने अछूत माने जाने वाले स्वयं सेवकों के साथ एक पंक्ति में बैठ कर खाना खाने से मना कर दिया तब डॉ. साहब ने अछूत माने जाने वाले स्वयं सेवकों के साथ भोजन करके न केवल जाति का भेद खत्म किया बल्कि ये संदेश भी दिया कि संघ हमेशा अपने स्वयंसेवकों में "हमसब एक हैं" का संस्कार स्थापित करता है.

1930 के समय का हिंदू समाज जाति भेद, भाषा भेद, प्रांत भेद, अश्पृश्यता जैसे वर्गों में बंटा था. डॉ हेडगेवार ने रोजाना लगने वाली शाखा में इन भेदों को मिटा दिया. उन्होंने हिन्दू नाम की सबसे बड़ी रेखा खींच दी लेकिन फिर भी RSS पर ब्राह्मणवादी संगठन होने का आरोप लग गया. बात 1932 की है जब संघ के शीतकालीन अधिवेशन के शिविर में उच्च जाति के स्वयंसेवकों ने अछूत माने जाने वाले स्वयं सेवकों के साथ एक पंक्ति में बैठ कर खाना खाने से मना कर दिया तब डॉ. साहब ने अछूत माने जाने वाले स्वयं सेवकों के साथ भोजन करके न केवल जाति का भेद खत्म किया बल्कि ये संदेश भी दिया कि संघ हमेशा अपने स्वयंसेवकों में "हमसब एक हैं" का संस्कार स्थापित करता है.

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