नई दिल्ली: कोरोना पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है. यूरोप के शक्तिशाल देशों से अमेरिका तक सभी कोरोना से लड़ रहे हैं और इस लड़ाई में इन देशों के हथियार भी खत्म हो रहे हैं. डॉक्टरों के पास मेडिकल उपकरणों की कमी है. जिससे लोगों के साथ साथ डॉक्टर्स भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में यूरोप से लेकर अमेरिका तक एक अलग तरह की वॉर शुरू हो गई है.
पहले कोरोना से तबाही अब हड़पेंगे मेडिकल सप्लाई?
कोरोना वायरस ने दुनिया के ऐसे मुहाने पर ला खड़ा किया है कि मेडिकल सप्लाई को लेकर अमेरिका से लेकर यूरोपीय देश आपस में लड़ रहे हैं और एक-दूसरे के ऑर्डर पर कब्जा करने को हर तिकड़म अपना रहे हैं. वायरस का प्रसार जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है मास्क और ग्लव्स की मांग भी उसी अनुपात में बढ़ रही है. कोरोना से जंग में देशों के बीच 'मास्क युद्ध' शुरू हो गया है. वहीं, कई देशों का आरोप है कि अमेरिका बीच रास्ते ही उनके ऑर्डर को हथिया ले रहा.
अमेरिका ने हड़पे यूरोप के मास्क?
जर्मनी के अधिकारियों का अमेरिका पर आरोप सामने आया है. बर्लिन पुलिस के लिए आ रहे मास्क अमेरिका में झटके. दो लाख मास्क के शिपमेंट को अमेरिका की तरफ डाइवर्ट कर दिया गया.
बर्लिन के लिए मास्क भेजने वाली कंपनी अमेरिकी मैन्युफैक्चरर 3M है. लेकिन 3M ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मास्क को जब्त कर लिया गया. 3M के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि बर्लिन पुलिस के लिए कोई मास्क मंगवाया था.
आर्डर लेकर नहीं भेजा गया वेंटीलेटर
स्पेन ने तुर्की पर डिलिवरी नहीं करने का आरोप लगाया है. स्पेन के मुताबिक वेंटिलेटर के ऑर्डर के लिए पैसा भेज दिया गया है लेकिन अब तक तुर्की से सामान नहीं आया है. उन्होंने कहा, 'वेंटिलेटर का शिपमेंट तुर्की से अब तक नहीं भेजा गया है क्योंकि तुर्की की सरकार यह समझती है कि उनके यहां मरीजों के इलाज में यह जरूरी है.'
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इस बीच चीन मेडिकल उपकरणों का बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है. चीन भी कई देशों को घटिया मेडिकल उपकरण भेज रहा है. इधर अमेरिका और चीन की सांठगांठ के आरोप भी लग रहे हैं. फ्रांस ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी ग्राहक चीन को तीन से चार गुनी कीमत देते हैं ताकि सप्लाई को डायवर्ट किया जा सके. फिलहाल जब तक कोरोना के मामले दुनिया में बढ़ते रहेंगे. तब तक मेडिकल उपकरणों की ये लड़ाई भी खत्म नहीं होने वाली.
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