नई दिल्ली: चीनी वायरस जहां दुनिया भर में कोहराम मचा रहा है वहीं उससे बचने के उपाय भी लगातार ढूंढे जा रहे हैं. कई देशों में कोरोना के वैक्सीन और दवा को लेकर रिसर्च चल रही है. वैसे अब तक कोरोना का सही उपचार सामने नहीं आया है, किन्तु कई शोध कामयाब भी हो रहे हैं. अमेरिका में वैक्सीन का मानव के शरीर पर परीक्षण हो चुका है जबकि भारतीय कंपनी सिप्ला और जापानी कंपनी टाकेडा फॉर्मा ने भी दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की दवा ढूंढ ली है. इन सबसे बड़ी खबर ये है कि इस वायरस से लड़ने वाली 69 दवाओं की पहचान हो कर ली गई है.
24 दवाओं की टेस्टिंग चल रही है
जानकारी के अनुसार इन 69 दवाओं में से करीब दो दर्जन दवाओं का पहले से ही परीक्षण चल रहा है. अच्छी खबर ये भी है कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा क्लोरोक्वीन के परिणाम भी आशाजनक रहे हैं.
क्लोरोक्वीन काम आ सकती है
ये जानकारी चीन में फॉस्फेट के उत्पादन की जांच करने वाले स्वास्थ्य कर्मी के माध्यम से सामने आई है जिसने सिद्ध कर दिया है कि मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन कोरोना संक्रमण रोक सकती है. यद्यपि अभी इसके इस्तेमाल के लिये अंतिम परीक्षण शेष है. शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना के इलाज में 69 दवाएं प्रयोगात्मक तौर पर सफल मानी जा सकती हैं.
फेफड़े की कोशिका को संक्रमित करता है जीन
कोरोना के उपचार हेतु जिन 69 दवाओं की पहचान वैज्ञानिकों ने की है. इन दवाओ की सूची बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है. ये दवायें शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के साथ प्रकाशित हुई हैं. सैकड़ों शोधकर्ताओं का कोरोनो वायरस के जीन पर पहले से ही अध्ययन चल रहा है औऱ इसे सार्स-कोव-2 के नाम से जाना जाता है. फेफड़े की कोशिका को संक्रमित करने वाले इस जीन के लिये उस वायरल प्रोटीन को रोकने की जरूरत है जो कोरोना को बढ़ावा देता है.
नई स्टडी में 26 जीनों की जांच
फिलहाल चल रहे नये शोध में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 29 जीनों में से 26 की जांच कर ली है जो वायरल प्रोटीन का उत्पादन करते हैं. इस तरह के 332 मानव प्रोटीनों का अध्ययन इन शोधकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है. शोधकर्ता मानव प्रोटीन पर असर डालने वाली दवाओं की पहचान में सफल रहे हैं और इन दवाओं का विशेष गुण ये है कि ये कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकती हैं.
सूची में एंटीबायोटिक्स भी शामिल
शोधकर्ताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सूची में एंटीबायोटिक्स भी शामिल हैं,जो प्रोटीन बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सेलुलर मशीनरी को कम करते हैं और साथ ही बैक्टीरिया को भी मारते हैं. इन दवाओं में से कुछ मानव प्रोटीन से संबन्धित हैं. नये शोध में आशा की जा रही है कि इन दवाओं का प्रभाव एंटीवायरल उपचार बन सकता है.
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