Adil Mansoori: "बच्चे बिगड़ गए हैं बहुत देख-भाल से"; आदिल मंसूरी के शेर

तू किस के कमरे में थी... मैं तेरे कमरे में था

फिर बालों में रात हुई... फिर हाथों में चाँद खिला

ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में... तिरी याद आँखें दुखाने लगी

जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर... वो तस्वीर बातें बनाने लगी

कभी ख़ाक वालों की बातें भी सुन... कभी आसमानों से नीचे उतर

चुप-चाप बैठे रहते हैं कुछ बोलते नहीं... बच्चे बिगड़ गए हैं बहुत देख-भाल से

अल्लाह जाने किस पे अकड़ता था रात दिन... कुछ भी नहीं था फिर भी बड़ा बद-ज़बान था

ऐसे डरे हुए हैं ज़माने की चाल से... घर में भी पाँव रखते हैं हम तो सँभाल कर

मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर... उस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया

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