गोल्ड मेडल विजेता टीम को इनाम में मिला था बैल
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गोल्ड मेडल विजेता टीम को इनाम में मिला था बैल

यह सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन 1980 के मास्को ओलंपिक में आखिरी क्षणों में भाग लेने के बावजूद स्वर्ण पदक जीतने वाली जिम्बाब्वे की हॉकी टीम जब स्वदेश लौटी थी तो उसकी प्रत्येक खिलाड़ी को इनाम में बैल दिया गया था।

नई दिल्ली : यह सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन 1980 के मास्को ओलंपिक में आखिरी क्षणों में भाग लेने के बावजूद स्वर्ण पदक जीतने वाली जिम्बाब्वे की हॉकी टीम जब स्वदेश लौटी थी तो उसकी प्रत्येक खिलाड़ी को इनाम में बैल दिया गया था। आज ओलंपिक में पदक जीतने पर खिलाड़ियों पर धन वर्षा होने लगती है लेकिन जिम्बाब्वे (तब रोडेशिया) के पास अपनी खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिये पैसा नहीं था इसलिए उसने यह नया तरीका निकाला था।
मास्को ओलंपिक का कई देशों ने बहिष्कार किया था और जिम्बाब्वे की टीम को आखिरी क्षणों में न्यौता भेजा गया था। आनन फानन में तैयार की गयी यह टीम पूरी प्रतियोगिता में अजेय रही थी। ओलंपिक में शुरू से ही इसी तरह की कुछ रोचक घटनाएं होती रही जैसे कि महिलाओं का लंबे समय तक मैराथन में भाग नहीं लेना। मैराथन शुरू से ओलंपिक का हिस्सा रही है लेकिन इसमें महिलाओं ने 1984 में लास एंजिल्स ओलंपिक में पहली बार भाग लिया था। असल में चिकित्सकों ने दावा कर दिया था कि मैराथन जैसी लंबी दूरी तक दौड़ने से महिलाएं कम उम्र में अधिक उम्र की दिखने लग जाती हैं। यदि मैराथन की ही बात करें तो 1904 में सेंट लुई में हुए ओलंपिक में फ्रेड लार्ज नाम के मैराथन धावक ने आयोजकों को धोखा देने की कोशिश की थी। उन्होंने अधिकतर दूसरी कार में बैठकर पूरी की लेकिन आयोजकों को इसका पता लग गया और लार्ज को अयोग्य ठहरा दिया गया।
हालैंड के एम्सटर्डम में 1928 में हुए नौवें ओलंपिक खेलों में इटली की जिम्नास्ट लुईजीना जियावोटी ने इतिहास रच दिया था। जियावोटी पदक जीतने वाली सबसे कम्र की खिलाड़ी थी। रजत पदक जीतने वाली इस खिलाड़ी की उम्र तब 11 साल 302 दिन थी। इसके चार साल बाद लास एंजिल्स में 1932 में दसवें ओलंपिक में पहली बार आयोजकों ने मुनाफा कमाया लेकिन तब ब्राजीली टीम बड़ी विषम परिस्थितियों में वहां पहुंची थी। असल में ब्राजील सरकार के पास अपने 69 खिलाड़ियों को अमेरिका भेजने के लिये पैसा नहीं था। आखिर में खिलाड़ियों को कॉफी ले जा रहे जहाज में बिठा दिया गया था। इन खिलाड़ियों ने अमेरिका जाकर कॉफी बेची और फिर ओलंपिक में भाग लिया था। हालैंड की 30 वर्षीय धाविका फैनी ब्लैंकर्स कोएन ने 1948 में लंदन ओलंपिक में चार स्वर्ण पदक जीते थे। वह तब तीन बच्चों की मां थी और इसलिए उन्हें ‘फ्लाइंग हाउसवाइफ’ नाम दिया गया था। ओलंपिक मेजबानी आस्ट्रेलिया को और प्रतियोगिताएं दूर बसे देश स्वीडन में, सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन 1956 के ओलंपिक खेलों में ऐसा हुआ था। मेलबर्न में हुए इन खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिताएं स्वीडन में आयोजित की गयी थी क्योंकि आस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य सेवाओं ने विदेशों से घोड़ों को देश में आने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।
कनाडा ने 1976 में मांट्रियल में ओलंपिक की मेजबानी का बीड़ा उठाया लेकिन इन खेलों ने उसको खस्ताहाल बना दिया था। खेलों पर कुल डेढ़ अरब डालर का खर्च आया। आयोजकों को यह कर्जा चुकाने में 30 साल का समय लगा। इन्हीं खेलों में रोमानिया की नादिया कामोनेची ने सात बार ‘परफेक्ट टेन’ यानि दस में से दस अंक बनाये थे। (एजेंसी)

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