मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: RSS पर हमला कर अपनी बढ़त न गंवा दे कांग्रेस
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: RSS पर हमला कर अपनी बढ़त न गंवा दे कांग्रेस

 कांग्रेस वचनपत्र को लेकर यह टिप्पणी होने लगी है कि उसने हर घर में चांद-तारा देने की बात छोड़कर सारे वादे कर दिए हैं.

 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: RSS पर हमला कर अपनी बढ़त न गंवा दे कांग्रेस

क्रिकेट की शब्दावली में कहना हो, तो कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस कहीं हिट विकेट न हो जाए. चुनावी रण में कांग्रेस अब तक दो गलती कर चुकी है, इससे उसकी बढ़त पर सवाल खड़े होने लगे हैं. राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा कि वह इसी तरह गलती करती रही, तो खेत हो जाएगी. कांग्रेस को भी चुनावी खेल में फंस जाने का भान हो रहा है, सो वह सफाई और बचाव की मुद्रा में है. बुधवार को नाम वापसी की अंतिम तिथि है. इससे पहले ही चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है.

इधर, कांग्रेस की दो गलतियों की खूब चर्चा हो रही है. पहली गलती- उम्मीदवारों की अंतिम दो सूची में गुटबाजी के कारण कमजोर उम्मीदवारों का चयन और दूसरी- वचनपत्र में सरकारी परिसरों में संघ की शाखा पर पाबंदी, सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों को शाखा में जाने से रोकने का वचन. कुछ उम्मीदवारों को बदलकर कांग्रेस ने पहली गलती सुधारने की कोशिश तो की, लेकिन संघ पर वचन से वह फंसती दिख रही है. कांग्रेस के नेताओं, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, विपक्ष के नेता अजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी आदि ने 11 नवंबर को 112 पेज का वचनपत्र जारी किया और उसी दिन से चुनावी चर्चा की विषयवस्तु बदल गई है. चर्चा के केंद्र में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है. इस बीच भाजपा संभलकर चल रही है. संभवतः यही कारण है कि उसके घोषणा पत्र पर मंथन का दौर जारी है.

वचनपत्र में कांग्रेस ने सभी को खुश करने की कोशिश की है. वादों के ढेर लगा दिए हैं. कह सकते हैं कि कुछ भी नहीं छोड़ा. किसानों के कर्ज माफ, बेटियों की शादी के लिए 51 हजार की मदद, मंदसौर गोलीकांड के दोषियों पर कार्रवाई, 6 लाख से काम आय वाले परिवारों से किसी के परीक्षा देने पर परीक्षा शुल्क में छूट, शासकीय सेवा में चयन के लिए अधिकतम आयु में दो वर्ष की छूट सहित घोषणाओं की झड़ी लगा दी. वचनपत्र को लेकर यह टिप्पणी होने लगी है कि कांग्रेस ने हर घर में चांद-तारा देने की बात छोड़कर सारे वादे कर दिए हैं.

लेकिन, कांग्रेस के सारे वादों को दरकिनार करते हुए भाजपा ने संघ वाली बात पकड़ ली. भाजपा ने वादे को दूसरा रंग दे दिया. वह कह रही है कि कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध की बात की, जबकि वचनपत्र में लिखा है कि सरकारी परिसरों में संघ की शाखा पर प्रतिबंध लगाएंगे. सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के शाखा में जाने पर भी रोक लगेगी. भाजपा साफ-साफ कह रही है कि यह संघ पर प्रतिबंध की धमकी है. कांग्रेस का वचनपत्र आए चार दिन हो गए, अब भाजपा के वचनपत्र का इंतजार है. 

इससे पहले चुनावी फिजा में तीन परिवर्तन दिख रहे हैं. अखबारों के हेडलाइंस में संघ और शाखा की खूब चर्चा है, अब तक हमलावर रही कांग्रेस की सफाई की मुद्रा है और भाजपा का अचानक आक्रामक हो जाना है. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान दिया कि देशद्रोही, देश को हमेशा लूटने वाले क्या जानेंगे संघ को. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, 'हिम्मत है तो शाखाओं पर प्रतिबंध लगा कर दिखाओ'. वहीं, अब कांग्रेस ने सफाई दी कहा कि हमने आदिवासी संगठनों के सुझाव पर यह वचनपत्र में शामिल किया. हमने संघ पर प्रतिबंध की बात नहीं की. बाबूलाल गौर और उमा भारती के मुख्यमंत्री काल में सरकारी परिसरों में शाखा लगाने की मनाही थी. हमने उसे लागू करने की बात की, जिसे शिवराज सिंह ने समाप्त किया.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हमने जो कहा नहीं, भाजपा वह हमारे मुंह में डालना चाहती है. हमने संघ पर प्रतिबंध की बात कभी नहीं की. कुल मिलाकर भाजपा ने कांग्रेस को अपने पिच पर लाने की कोशिश की, जिसमें कांग्रेस फंसती दिख रही है. एक तरफ से हमला और दूसरी ओर से सिर्फ सफाई. कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, 'उनके पास मुद्दा नहीं है, तो वे करेंगे क्या? प्रदेश की जनता पढ़ती-लिखती है, वह जानती है कि हमने क्या लिखा है. हमने नियम सम्मत बात कही है कि आरएसएस, जमात-ए-इस्लाम, आनंद मार्ग सहित सात संगठन सरकारी परिसरों  में बैठक नहीं कर सकते. इन सभी संगठनों में केंद्र सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों के भाग लेने की मनाही है. हमने वही बात कही. हमने नहीं कहा कि संघ पर प्रतिबंध लगाएंगे. वे शब्दों से खेल रहे हैं. हार की आहट से बौखलाए हैं.

विश्लेषकों की नजर में हर पंचायत में गौशाला, राम वनगमन पथ की यात्रा, कांग्रेस नेताओं की मंदिर यात्रा आदि से भाजपा की धार कुंद करने में सफल दिख रही कांग्रेस ने अब उसे पसंदीदा पिच पर बैटिंग का अवसर दे दिया है. सो, कुछ न कुछ नुकसान तो होगा. अब यह उन पर है कि वह नुकसान कितना कम कर पाते हैं. भाजपा तो इसे खूब हवा देगी. वह दे भी रही है. अब यह उनका पसंदीदा विषय है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राहुल गांधी नकली हिंदू हैं. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी और कमलनाथ से माफी मांगने की बात कही. पार्टी नेता साफ कह रहे हैं कि यह अब चुनावी मुद्दा है.

विश्लेषकों की नजर में वचननामे से कांग्रेस को नुकसान हो या न हो, भाजपा को फायदा जरूर होने जा रहा है. यह फायदा दो तरह से होगा. एक तो यह कि मोदी और शिवराज सिंह से किन्हीं कारण से नाराज और सुस्त स्वयंसेवक अब सक्रिय हो जाएंगे और दूसरा यह कि एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग को मोदी सरकार द्वारा पलटने से नाराज लोगों की नाराजगी कम होगी. वे मोदी को कोसना कम करेंगे. ऐसे में भाजपा को फायदा तो होना ही है, सवाल सिर्फ और सिर्फ कितने का है?  

संघ ने अपनी मंशा साफ भी कर दी है. संघ के सह प्रांत संघचालक अशोक पांडे ने कहा है कि स्वयंसेवक चुप नहीं बैठेंगे. वे कांग्रेस के इस कदम के बारे में जनजागरण करेंगे. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि हां, यह मुद्दा है. हम इसे मुद्दा बना भी रहे हैं. ये लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते हैं, शहरी नक्सलियों को सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं और राष्ट्रवादी संगठन संघ पर प्रतिबंध की बात करते हैं. यह कहने पर कि उन्होंने प्रतिबंध की बात नहीं कही है, अग्रवाल ने कहा कि बात वही है. शब्दों का हेरफेर है. अग्रवाल कहते हैं, इनका विधायक सुंदरलाल तिवारी संघ को आतंकवादी संगठन कहता है. इनके प्रवक्ता संघ को मंथरा-केकैयी कहते हैं. उन्होंने सवाल भी किया, 'आप बताइए, राहुल गांधी संघ के लिए किन शब्दों का प्रयोग करते हैं'? यह पूछने पर कि बाबूलाल गौर और उमा भारती के समय सरकारी परिसरों में संघ की शाखा पर प्रतिबंध था, रजनीश अग्रवाल ने कहा कि वह गलत था, इसलिए तो बदल दिया. साफ है कि भाजपा को चुनाव की धारा मोड़ने वाला मुद्दा मिल चुका है और शायद यही कारण है कि कल तक कांग्रेस को बीस बताने वाले लोग अब कहने लगे हैं, लड़ाई बराबर की है भाई !

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

 

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