महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद 30 अक्टूबर को बीजेपी विधायक दल की बैठक होने जा रही है. इसमें देवेंद्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुन लिया जाएगा.
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मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) के बाद 30 अक्टूबर को बीजेपी विधायक दल की बैठक होने जा रही है. इसमें देवेंद्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुन लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक उसके बाद फडणवीस राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं और 1-2 दिनों में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके जरिये बीजेपी, शिवसेना पर दबाव बनाने की कोशिश करेगी. वैसे भी इस सरकार का कार्यकाल नौ नवंबर को खत्म हो रहा है और उससे पहले ही नई सरकार का गठन किया जाना है. इस बीच बीजेपी एक अन्य निर्दलीय विधायक ने बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है. चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवर ने अपने समर्थकों के साथ देवेंद्र फडणवीस को अपने समर्थन का पत्र सौंपा.
हालांकि भाजपा-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद 50-50 फॉर्मूले के पेंच के कारण भाजपा भले ही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के लिए फडणवीस के नाम पर मुहर लगा दे लेकिन फिलहाल आगे की सियासी तस्वीर बहुत साफ नहीं दिखती. हालांकि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में जिस ढंग से शिवसेना मोलभाव पर उतरी है, उससे भाजपा के बड़े नेता हैरान नहीं हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि राजनीति में मोल-भाव बुरी बात नहीं है, जिसको जब मौका मिलता है, वह करता ही है. भाजपा नेताओं का मानना है कि शिवसेना कितना भी लड़े, आखिर में उसे सरकार भाजपा के साथ ही बनानी है.
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भाजपा के एक राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, "राजनीति में डिमांड करना बुरी बात नहीं है. शिवसेना को मौका मिला है तो वह कर रही है. डिमांड करना शिवसेना का काम है और बातचीत के जरिए उसे सुलझाना हमारा काम है. मीडिया के लिए शिवसेना के बयान मायने रखते होंगे, हमारे लिए इसमें कुछ भी नया नहीं. हमें कितनी गालियां उन्होंने दी, फिर भी हम पांच साल तक साथ रहे न. जब 2014 में गठबंधन टूटने पर अलग-अलग चुनाव लड़ने के बाद भी हम एक साथ सरकार बनाए तो इस बार तो साथ-साथ चुनाव लड़े हैं. यहां शादी के बाद तलाक की गुंजाइश नहीं है."
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भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व के स्तर से शिवसेना को संदेश दे दिया गया है कि उसे मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने वाला, वह डिप्टी सीएम की पोस्ट से संतोष करे. एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, "शिवसेना को भी पता है कि उसे मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने वाला. मगर शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर दबाव की राजनीति कर रही है. दरअसल, शिवसेना की रणनीति मुख्यमंत्री पद को लेकर दबाव कायम कर बदले में वित्त और गृह विभाग जैसे अहम महकमे अपने कब्जे में लेने की है. आदित्य ठाकरे का कद डिप्टी सीएम से ज्यादा का नहीं है."
सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जिस आक्रामक अंदाज में शरद पवार फिर से शक्ति बनकर उभरे हैं, उससे एक ही विचारधारा पर खड़ी भाजपा और शिवसेना का एक-दूसरे के साथ रहना मजबूरी है. भाजपा के एक नेता ने कहा, "शिवसेना भले ही विकल्प खुले रहने की बात कह रही है, मगर उसे भी पता है कि कांग्रेस-एनसीपी के सहयोग से सरकार बनाने पर उसकी उग्र हिंदुत्व की राजनीति पर असर पड़ सकता है. जनता के बीच हिंदुत्व के मुद्दे पर वह पूरी तरह एक्सपोज हो जाएगी."
सूत्र बताते हैं कि शिवसेना के साथ आने पर कांग्रेस-एनसीपी की ओर से भाजपा को किसी भी कीमत पर सत्ता से दूर रखने के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री पद भी दिया जा सकता है. मगर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को यह डर है कि अगर बीच में कहीं आदित्य के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई तो फिर यह 'राजनीतिक भ्रूणहत्या' होगी. इन सब कारणों को देखते हुए उद्धव ठाकरे अच्छे मंत्रालय मिलने के बाद भाजपा के साथ ही सरकार बनाना मुफीद समझते हैं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के सामने भी विकल्प नहीं है. कांग्रेस के साथ तो सरकार भाजपा बनाएगी नहीं. एनसीपी नेता शरद पवार के खिलाफ चुनाव के मौसम में ईडी ने जिस तरह से एक्शन किया, उससे भाजपा से रिश्ते खराब हुए हैं. कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली एनसीपी को भी लगता है कि अगर वह भाजपा के साथ गई तो माना जाएगा कि केंद्रीय एजेंसियों के डर से शरद पवार ने गठबंधन किया.
सूत्र बता रहे हैं कि इन सब परिस्थितियों के चलते आखिर में सरकार भाजपा और शिवसेना की ही बनेगी. विधानसभा चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव फिलहाल शिवसेना के साथ बातचीत सुलझाने में लगे हैं. पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि जल्द अध्यक्ष अमित शाह के स्तर से उद्धव ठाकरे से बातचीत कर चीजें फाइनल होंगी.
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(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)