इस विधानसभा सीट पर BJP प्रत्याशी की 'मदद' से जीती कांग्रेस, ये है वजह
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इस विधानसभा सीट पर BJP प्रत्याशी की 'मदद' से जीती कांग्रेस, ये है वजह

 महाराष्ट्र के सांगली जिले के पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है. आपको यह बात थोड़ी अटपटी लग रही होगी, लेकिन ये सौ फीसदी सच है.

महाराष्ट्र के सांगली जिले के पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर विजयी हुए कांग्रेस प्रत्याशी विश्वजीत कदम के पिता इलाके में काफी लोकप्रिय नेता थे.

मुंबई: भारतीय राजनीति पर गौर करें तो बीजेपी और कांग्रेस दो ऐसे केंद्र बिंदु हैं जिसके इर्द-गिर्द सारी पार्टियां काम कर रही हैं. मौजूदा वक्त में सत्तापक्ष का नेतृत्व बीजेपी तो विपक्षी पार्टियों की अगुवाई कांग्रेस कर रही है. ऐसे में स्वभाविक है कि बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी हैं. इस बार हुए उपचुनाव में एक बेहद दिलचस्प मामला देखने को मिला है. महाराष्ट्र के सांगली जिले के पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है. आपको यह बात थोड़ी अटपटी लग रही होगी, लेकिन ये सौ फीसदी सच है.

पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विश्‍वजीत कदम ने जीत दर्ज की है. ऐसे में स्वभाविक है कि आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे आखिर बीजेपी ने कांग्रेस की जीत में क्यों मदद की. आइए इसकी वजह समझने की कोशिश करते हैं.

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बीजेपी प्रत्याशी ने ऐसे की कांग्रेस की मदद: पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस की सीधी मदद नहीं की है. यूं कहें की अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है. दरअसल, पलुस कादेगांव सीट पर कांग्रेस की ओर से विश्वजीत कदम को टिकट दिया था, वहीं बीजेपी ने संग्रामसिन देशमुख को उनके सामने खड़ा किया था. वोटिंग से चंद रोज पहले बीजेपी प्रत्याशी संग्रामसिन देशमुख ने अपना नाम वापस ले लिया, जिसके चलते विश्वजीत कदम की आसान जीत तय हो गई थी.

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इस वजह से बीजेपी प्रत्याशी ने खींचे कदम: पलुस कादेगांव विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री पटंगराव कदम विधायक थे, उनकी मौत के चलते यह सीट खाली हुई थी. पटंगराव कदम पुराने कांग्रेसी थे, इसलिए उपचुनाव में कांग्रेस ने उनके बेटे विश्वजीत कदम को टिकट दिया था. इस इलाके में पटंगराव काफी लोकप्रिय नेता थे. इस वजह से विश्वजीत को सहानुभूति वोट मिलना तय माना जा रहा था. 

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बीजेपी प्रत्याशी संग्रामसिन देशमुख चुनाव से पहले ही समझ चुके थे कि उनकी हार तय है. सत्ताधारी बीजेपी को लगा कि अगर लड़ाई के बाद उन्हें कांग्रेस से हार मिलती है तो अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करती. इसके अलावा राज्य में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं. इसका मतलब है कि यहां से जीतने वाला प्रत्याशी एक साल ही विधायक रहा पाएगा. इन सभी बातों को ध्यान में रखकर बीजेपी प्रत्याशी ने आखिरी वक्त में अपना नाम वापस ले लिया. इस तरह बीजेपी प्रत्याशी की मदद से कांग्रेस के उम्मीदवार विश्वजीत कदम ने निर्विरोध जीत दर्ज कर ली.

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