Vastu Tips for Ancesstors: पितृ पक्ष का पर्व पितरों को नमन, उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए होता है. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो वह भी शांत होता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अर्थात 29 सितंबर से शुरु हो रहे पितृ पक्ष आपकी सफलता के दरवाजे खोलने वाला है. पितृ दोष से पीड़ित लोगों के लिए तो यह सुनहरा अवसर है जब वह दोष को कम कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.   


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इस लेख में हम बात करेंगे आपके आवास के वास्तु की व्यवस्था में कहां पर पितृ दोष है. वास्तु और शरीर का अलौकिक कनेक्शन है. इस बात को एक उदाहरण से समझिए यदि मनुष्य मोबाइल है तो उसका मकान चार्जर. यानी जब दिन भर काम करके आने के बाद जैसे ही वह मकान अर्थात अपने घर में प्रवेश करता है तो उसे एक अद्भुत सुकून मिलता है. वह रिलेक्स हो जाता है. 


कहने का अर्थ है कि जैसे ही वह अपने वास्तु पुरुष के प्रत्यक्ष संपर्क में आता है तो उस शरीर और वास्तु पुरुष के गुणों में वृद्धि हो जाती है. कई बार मनुष्य की नकारात्मकता और मकान की नकारात्मकता मिलकर इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उसके स्वास्थ्य और स्वभाव को प्रभावित करती है. मनुष्य के पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार ही घर में वास्तु पुरुष की स्थिति तय होती है.


जिन लोगों की कुंडली में पीढ़ी दर पीढ़ी पितृ दोष होते हैं तो वह उनके घर में वास्तु दोष उजागर में होता है. दरअसल पितृदोष का क्रिएटर राहु होता है. वास्तु में राहु का स्थान दक्षिण पश्चिम के मध्य यानी नैऋत्य कोण में होता है. यहां का तत्व पृथ्वी होता है. पृथ्वी तत्व ही शरीर अर्थात फिजिकल बॉडी है. 


घर में नैऋत्य कोण की स्थिति को देखकर पितृ दोष का अनुमान लगाया जा सकता है. जिन कुंडलियों में पितृ दोष होता है उनके घर में नैऋत्य कोण डिस्टर्ब होता है अर्थात चीजों का उनके उचित स्थान पर न रखा होना. जैसे नैऋत्य कोण में झरने, जल, नदी, समुद्र आदि की पेंटिंग लगी हो तो इसका सीधा संबंध आपके पितरों की रुष्टता से है.


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