Pitra Shanti Upay: पितृ पक्ष से पहले पितरों की शांति के लिए इस दिन करें पिंड दान और तर्पण; मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद
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Pitra Shanti Upay: पितृ पक्ष से पहले पितरों की शांति के लिए इस दिन करें पिंड दान और तर्पण; मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

Pitra Shanti Remedies: हर माह कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन अमावस्या होती है. उसके बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है. अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष मह्व बताया जाता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंड दान और तर्पण आदि किए जाते हैं. 

 

फाइल फोटो

Bhadrapada Amavsya 2022: हिंदू धर्म में हर तिथि का अपना महत्व है.  भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या इस बार शनिवार के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन  शनि देव और पितरों की पूजा की जाती है. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. अमावस्या तिथि को पितरों की आत्मशांति, दान-पुण्य और कालसर्प दोष दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. 

भाद्रपद माह भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और श्री गणेश जी की पूजा को समर्पित है. भाद्रपद माह में आने वाली अमावस्या का भी विशेष महत्व है. इस दिन कुश एकत्रित किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन धार्मिक कार्यों, श्राद्ध आदि में इस्तेमाल होने वाली घास को एकत्र किया जाए, तो पुण्य की प्राप्ति होती है. 

भाद्रपद अमावस्या 2022 तिथि और मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 26 अगस्त शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी. और 27 अगस्त दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर समापन होगा. उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार के दिन है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विधान है. पीपल की पूजा से पितृ और शनि देव दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है. 

अमावस्या पर बन रहा है ये शुभ योग

भाद्रपद अमावस्या के दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन प्रातः काल से लेकप अगले दिन 28 अगस्त सुबह 02 बजकर 7 मिनट तक शिव योग है. मान्यता है कि इस योग में किया गया कार्य शुभ फल देता है. इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है. वहीं, इस दिन राहु काल सुबह 09 बजकर 09 मिनट से शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

पितरों की शांति के लिए करें पिंडदान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितरों की आत्मशांति के लिए अमावस्या का दिन बहुत अच्छा माना जाता है. इसलिए भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए किसी पवित्र नदी के किनारे पिंडदान और दान किया जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति का पितृ  दोष समाप्त होता है. पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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