Shani Dev: साल 2025 तक इस राशि वालों पर जमकर कहर बरसाएंगे शनि, कष्टमयी समय जीवन में मचाएगा उथल-पुथल
Shani Dasha: शनि की दशा किसी भी राशि के जातकों के लिए बहुत ही कष्टदायी और मुश्किल भरा समय होता है. कुंभ राशि के जातक इस समय शनि की साढ़े साती से गुजर रहे हैं, जिसका दूसरा चरण शुरू हो चुका है. ऐसे में उनके लिए ये समय बहुत कष्टदायी रहने वाला है.
Shani Dasha In Kumbh Till 2025: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी ग्रह का गोचर, वक्री या मार्गी होने का प्रभाव वैसे तो सभी राशि के जातकों के जीवन पर पड़ता है. लेकिन कुछ राशियां ऐसी होती है, जिन पर खासतौर से इसका प्रभाव देखा जा सकता है. शनि देव का स्थान परिवर्तन बहुत महत्व रखता है. शनि को दंडनायक या न्याय के देवता के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि शनि अगर किसी व्यक्ति पर मेहरबान होते हैं, तो उसे रंक से राजा बनने में देर नहीं लगती. वहीं, शनि की क्रूरदृष्टि व्यक्ति को तबाह करने में देर नहीं लगाती.
बता दें कि शनि ने 17 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश किया है. ज्योतिषीयों का कहना है कि शनि जिस राशि में विराजमान होते हैं, उस राशि के जातकों के लिए वो समय भारी रहता है. ऐसा भी कहा जाता है कि शनि जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का चरण शुरू हो जाता है. शनि की साढ़े साती का ये समय बहुत कष्टदायी होता है.
2025 तक रहेंगे कुंभ में विराजमान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि किसी भी राशि में ढाई साल तक रहते हैं. ऐसे में कुंभ राशि में शनि 2025 तक विराजमान रहने वाले हैं. बता दें कि 29 मार्च 2025 को शनि दूसरी राशि में गोचर करेंगे और तब तक कुंभ राशि वालों के लिए ये समय बहुत कष्टमयी और मुश्किलों से भरा होगा.
कुंभ पर कब हुई साढ़े साती की शुरुआत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़े साती की शुरुआत पिछले साल 24 जनवरी को हुई थी और 29 अप्रैल से इन पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो गया था. ज्योतिषीयों के अनुसार साढ़े साती के तीन चर होते हैं और इनमें दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टदायी होता है. इस दौरान जातकों को शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ता है. इस चरण में व्यक्ति को चारों तरफ से परेशानियां घेल लेती हैं और किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिलता.
इस स्थिति में पहुंचाती है लाभ
ज्योतिष अनुसार किसी जातक की कुंडली में शनि की मजबूत स्थिति व्यक्ति को शुभ फल प्रदान करती है. ऐसा जरूरी नहीं होता कि शनि की दशा का प्रभाव व्यक्ति पर नकारात्मक ही पड़े. ये प्रभाव शुभ फलदायी भी होते हैं. ज्योतिषीयों की मानें तो कुंडली में शनि के मजबूत स्थान पर होने पर व्यक्ति को साढ़े साती और ढैय्या के दौरान लाभ मिलते हैं. वहीं, कमजोर स्थिति व्यक्ति को समस्याओं से घेर लेती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)