Sun transit: जानिए सूर्य के कितने होते हैं रूप, कैसी होती है चाल और कब होते हैं यह शक्तिशाली या कमजोर
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Sun transit: जानिए सूर्य के कितने होते हैं रूप, कैसी होती है चाल और कब होते हैं यह शक्तिशाली या कमजोर

Sun Transit 2023: 14 जनवरी को ग्रहों के देवता सूर्यदेव मकर राशि में विराजमान हो गए हैं. हर महीने किसी न किसी राशि में भ्रमण करने से सूर्यदेव को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता हैं, आइए जानते हैं कि सूर्य के कितने रुप हैं और कौन सी स्थिति शक्तिशाली और कमजोर होते हैं. 

 

सूर्यदेव के रूप

Surya Gochar: सूर्य देव सदैव मार्गी तथा उदित होने वाले ग्रह हैं, इन्हें ग्रहों का राजा भी कहा जाता है. उनकी अपनी राशि सिंह है अर्थात सिंह राशि के स्वामी सूर्यदेव ही हैं. मेष राशि में 10 डिग्री की अवस्था में यह उच्च तथा तुला राशि में इतनी ही अर्थात 10 डिग्री की स्थिति में यह नीचस्थ होते हैं जबकि सिंह राशि में 20 डिग्री तक यह मूल त्रिकोण में होते हैं. चंद्रमा मंगल और बृहस्पति इनके नैसर्गिक मित्र हैं जबकि शुक्र और शनि से इनकी शत्रुता है और बुध से समभाव रखते हैं यानी न शत्रुता और न ही मित्रता. राहु और केतु ग्रह इनके नैसर्गिक शत्रु माने जाते हैं. यह किसी की व्यक्ति के जीवन में 22 से 26 वर्ष की अवस्था में अपना शुभ या अशुभ फल देते हैं. 

14 जनवरी से सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर चुके हैं और यहां पर वह करीब एक माह तक रहने वाले हैं. सूर्य देव सदैव गतिमान रहते हैं और 12 महीनों की अवधि में 12 राशियों में विचरण करते हैं. प्रत्येक माह में राशि परिवर्तन के दौरान इनके नाम भी बदल जाते हैं जो धाता, अर्यमा, मित्र, वरुण, इंद्र, विवस्वान, पूषा,पर्जन्य, अंशुमान, भग, त्वष्टा और विष्णु के रूप में जाने जाते हैं. 

उत्तरायण में शक्तिशाली तो दक्षिणायन मे कमजोर

सूर्यदेव छह माह तक उत्तर दिशा की ओर चलते हैं अर्थात मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण के दौरान उन्हें उत्तरायण कहा जाता है जबकि छह माह सूर्यदेव दक्षिण दिशा में चलते हैं जिसे दक्षिणायन कहा जाता है. इस तरह सूर्यदेव जब कर्क राशि धनु राशि तक भ्रमण करते हैं तो दक्षिणायन कहलाते हैं और यह अवधि छह माह की होती है.

उत्तरायण के सूर्य को सकारात्मक माना जाता है जब सूर्य शक्तिशाली होते हैं जबकि दक्षिणायन को  सूर्य नकारात्मक या कमजोर माना जाता है. एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है और एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति की अवधि को सौर मास कहते हैं. इस प्रकार छह माह तक सूर्य उत्तरायण और छह माह तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं.

 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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