पांच साल में देश से बाहर गईं Ford समेत ये नामी Automobile Companies, आख‍िर क्यों ?
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पांच साल में देश से बाहर गईं Ford समेत ये नामी Automobile Companies, आख‍िर क्यों ?

यूरोप (Europe) और अमेरिका (US) की तुलना में भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (Indian Automobile Industry) में सुधार की गुंजाइश अब भी बाकी है. सरकार और कई व्यापारिक घरानों की कोशिशों के बावजूद नतीजे सिफर रहे हैं.

फोटो क्रेडिट: (रॉयटर्स)

नई दिल्ली: यूरोप (Europe) और अमेरिका (US) की तुलना में भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (Indian Automobile Industry) में सुधार की गुंजाइश अब भी बाकी है. सरकार और कई व्यापारिक घरानों की कोशिशों के बावजूद नतीजे सिफर रहे हैं. इसी कड़ी में अमेरिकी कंपनी फोर्ड (Ford India) ने भी आख‍िरकार भारत से अपना कारोबार समेट लिया है. इसी के साथ ही बीते 5 साल के भीतर भारत से फोर्ड (Ford), हार्ले डेविडसन, फिएट, जनरल मोटर्स (GM), और यूनाइटेड मोटर्स (UM) जैसी 7 प्रमुख ऑटो कंपनियां बाहर हो गई हैं. क्यों हुआ ऐसा आइये इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.

  1. देश से बाहर जा रहीं नामी कंपनियां
  2. पांच साल में 7 कंपनियों ने छोड़ा देश
  3. जानिए क्या कहते हैं इंडस्ट्री एक्सपर्ट
  4.  

'टिके रहने का बेसिक फंडा'

देश के प्रमुख ऑटो एक्सपर्ट्स की मानें तो किसी भी नए प्रोडक्ट को देश में लाने में नाकामी यानी कंपनी की देश से रुखसती की कई वजहें हो सकती हैं. इन कारणों की विस्तार से चर्चा करें तो खराब और महंगी आफ्टर सेल्स सर्विस, स्पेयर्स पार्ट्स का हर जगह उपलब्ध न होना भी इसकी एक मूलभूत वजह हो सकती है. 

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फोर्ड की नाकामी की वजह

फोर्ड की बात करें तो ये कंपनी शुरु से घाटे में रही. भारतीय कस्टमर्स ने इसे कुछ खास पसंद नहीं किया. इसकी वजह ये भी हो सकती है कि देश में हमेशा से मध्यमवर्गीय लोगों में खुद की कार होने का क्रेज रहा है. यहां छोटी गाड़ियों का चलन हर दौर में सदाबहार रहा. यही वजह है कि दो दशक पुराना मारुति 800 का मॉडल देश में सुपर हिट रहा वहीं ह्यूंडै (Hyundai) की सैंट्रो और दूसरे मॉडलों ने भारत में कामयाबी और मुनाफे के कई आयाम हासिल किये. वहीं फोर्ड ऐसा कोई मॉडल नहीं ला सकी. ऑटो एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसका दूसरा कारण आफ्टर सेल्स सर्विस की श‍िकायतें भी रहीं.

इन कंपनियों ने भी समेटा कारोबार

यही हाल अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स की भी रहा. GM का Chevrolet ब्रैंड भी भारतीय बाजार में अपनी अलग जगह नहीं बना पाया. अमेरिकी कंपनियां सस्ते और वैल्यू बेस्ड मॉडल लॉन्च करने में नाकाम रहीं. इसी तरह इटली की ऑटो निर्माता कंपनी फिएट (Fiat) की कई सालों तक भारत में गुडविल बरकरार रही. इसी दम पर उसने फिर भारत में वैरायटी मॉडल देने की कोशिश की लेकिन दुबारा कंपनी को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली और आखिरकार उसने साल 2020 में अपना उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया.

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(सांकेतिक तस्वीर साभार: रॉयटर्स)

इन कंपनियों की देश छोड़ने की एक वजह यह भी है कि भारतीय कारोबार का अमेरिका या यूरोपियन कंपनियों के कुल कारोबार और मुनाफे में योगदान बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए ये कंपनियां ज्यादा नुकसान होने पर देश छोड़ने में भलाई समझ रही हैं. 

(नोट- इस लेख में प्रकाशित जानकारी ऑटो एक्सपर्ट के इंटरव्यू पर आधारित है.)

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