नई की बात तो छोड़िए, इस वजह से करोड़ों की मिल रही सेकेंड हैंड कारें
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नई की बात तो छोड़िए, इस वजह से करोड़ों की मिल रही सेकेंड हैंड कारें

श्रीलंका की आर्थिक स्थिति बेहाल है और देश दिवालिया होने की कगार पर है. यहां कारों की भारी किल्लत है और सेकेंड हैंड कारें कारोंड़ों की कमल रही हैं.

10 साल पुरानी फीएट करीब 6.18 करोड़ रुपये की बिक रही है

नई दिल्लीः भारत में जब नई कार लेने का बजट नहीं होता तो ग्राहक सेकेंड हैंड कारों की ओर रुख करते हैं. ये कारें सस्ती होती हैं और अपने बजट में रहकर कई मायनों में बहुत पैसा बचाया जा सकता है. लेकिन भारत का एक पड़ोसी देश ऐसा भी है जहां यूज्ड कार खरीदना बहुत महंगा सौदा है, आज हम आपको बता रहे हैं श्रीलंका के बारे में. यहां 5 साल पुरानी टोयोटा लैंड क्रूजर करीब 2.34 करोड़ रुपये की और 10 साल पुरानी फीएट करीब 6.18 करोड़ रुपये की बिक रही है.

  1. करोड़ों रुपये की बिक रही सेकेंड हैंड कारें
  2. श्रीलंका में निजी वाहनों की भारी किल्लत
  3. दिवालिया होने की कगार पर आया ये देश

श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर!

दुनिया के बाकी हिस्सों में ये काम काफी सस्ता पड़ता है. यहां तक कि भारत में इस बजट के साथ आप घर और छोटा सा व्यापार दोनों आसानी से प्लान कर सकते हैं. दरअसल श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर है और महंगाई आसमान छू रही है, ऐसे में सरकार ने तमाम गैर जरूरी सामान के आयात पर रोक लगा दी है कि ताकि देश के डॉलर रिजर्व को बचाया जा सके. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के लोगों के पास खरीदने के लिए निजी वाहनों के बहुत कम विकल्प बचे हैं.

फीचर्स से लैस सेकेंड हैंड कारों के विकल्प कुछ कम

इसके अलावा दमदार मांग सामने आ रही है जिससे सेकेंड हैंड कारों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. छोटे आकार की कारें यहां बेहद महंगी होने के बाद भी हाथों-हाथ बिक रही हैं. इस कीमत पर बहुत अच्छी किसी जगह पर घर खरीदा जा सकता है. फीचर्स से लैस सेकेंड हैंड कारों के विकल्प कुछ कम हैं, ऐसे में इनकी कीमत काफी ज्यादा रखी गई है. श्रीलंका में रहकर जिन लोगों ने भी 2021 की शुरुआत तक कार खरीदी है वो उनके लिए अब बहुत फायदेमंद विकल्प बन गई है.

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सभी ग्राहक ज्यादातर इंपोर्टेड कारें खरीदते रहे

श्रीलंका में घरेलू स्तर पर कार इंडस्ट्री का कोई माहौल ही नहीं रहा, क्योंकि सभी ग्राहक ज्यादातर इंपोर्टेड कारें खरीदते रहे. लेकिन मौजूदा आर्थिक तंगी के बाद वाहन निर्माता कंपनियां कारों का उत्पादन कर नहीं सकती हैं, ऐसे में आने वाले समय में भी सेकेंड हैंड कारों की कीमतों में आसामान्य बढ़त देखने को मिल सकती है.

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