डियर जिंदगी : आप भी दुविधा में हैं!
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डियर जिंदगी : आप भी दुविधा में हैं!

हिंदी साहित्‍य परंपरा से परिचित लोग निश्चित रूप से डॉ. विजय बहादुर सिंह से परिचित होंगे. वह अक्‍सर कहा करते हैं, 'दुविधा से आत्‍मा का नाश होता है'. वह आगे जोड़ते हैं कि गीता का हमारे जीवन के लिए सबसे सरल संदेश यही है.'

डियर जिंदगी : आप भी दुविधा में हैं!

दयाशंकर मिश्र

उनकी भाषा बेमिसाल है. हिंदी, अंग्रेजी के साथ उर्दू में भी वह लगभग बराबरी का दखल रखते हैं. उनके करियर का आरंभ देशकी राजधानी के सर्वोत्‍त्‍म संस्‍थान से हुआ. उसके बाद वह ठहर गए. उन्‍होंने रास्‍ते को मंजिल मान लिया. अपनी थोड़े समय की अनुकूलता को उन्‍होंने स्‍थायी भाव मान लिया. बरस दो बरस में उनके पास जब भी अवसर आए, उन्‍होंने यही माना कि यह ठीकनहीं होगा. इसमें खतरे हैं. ऐसा करने में जोखिम अधिक है. कहीं ऐसा न हो कि जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर जाए. जिंदगी केएक छोर पर वह चल रहे थे तो दूसरे पर उनके समकालीन दोस्‍त.

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वह हमेशा दुविधा में रहे. जब भी अवसर उनके घर चलकर आए, उन्‍होंने इंकार कर दिया. वह हमेशा दुविधा की दुनिया में रहे, जबकि उनके मित्र, उनके साथी उनसे सीखते हुए आगे बढ़ते गए. मजे की बात यह भी कि यह सज्‍जन उन सभी की यात्राओं में प्रसन्‍नता से सहभागी भी रहे. लेकिन अपने बारे में उन्‍होंने निर्णय को 'होल्‍ड' की फाइल में कैद कर दिया. यह होल्‍ड कुछ बरसों के बाद मुसीबत बन गया.

कंपनियों के प्रबंधन बदलने लगे. आज की 'डियर जिंदगी' के इस मुख्‍य पात्र ने जब अवसर की तलाश में अनुकूलता का सुख छोड़कर बाहर की धूप में जाने का फैसला किया तो पता चला दुनिया बदल गई. उनको नई मंजिल मिल गई. लेकिन अब उन्‍हें अफसोस बस इस बात का है कि काश! वह जीवन, आशा और अवसर के प्रति इतने आशंकित, दुविधा में न रहे होते.

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हिंदी साहित्‍य परंपरा से परिचित लोग निश्चित रूप से डॉ. विजय बहादुर सिंह से परिचित होंगे. वह अक्‍सर कहा करते हैं, 'दुविधा से आत्‍मा का नाश होता है'. वह आगे जोड़ते हैं कि गीता का हमारे जीवन के लिए सबसे सरल संदेश यही है. यह दुविधा इतनी घातक है कि यह लाखों लोगों के जीवन को ताउम्र जड़ता की बेड़ियों में बांधे रखती है. दुविधा की जड़ता परिवार में दुख,जीवन के विकास की दिशा में सबसे अधिक बाधक है.

जीवन अवसर का पर्यायवाची है. अवसर की खोज में न निकलने का फैसला, आपको कहीं ले जाता. इसलिए जिंदगी के द्वार पर  दुविधा का 'प्रवेश निषेध' जितने बड़े अक्षरों में लिखा होगा, उतना ही शुभ होगा.

(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

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