हरियाणा को मिल गए नए 'लाल'
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हरियाणा को मिल गए नए 'लाल'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में कई दशकों तक सक्रिय रहे और हरियाणा में गैर जाट पृष्ठभूमि के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे मनोहर लाल खट्टर जमीन से जुड़े हुए और व्यावहारिक शख्सियत माने जाते हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वो कठिन चुनौतियों से निपटने का माद्दा और सूझबूझ रखते हैं।

बिमल कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में कई दशकों तक सक्रिय रहे और हरियाणा में गैर जाट पृष्ठभूमि के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे मनोहर लाल खट्टर जमीन से जुड़े हुए और व्यावहारिक शख्सियत माने जाते हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वो कठिन चुनौतियों से निपटने का माद्दा और सूझबूझ रखते हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया। हालांकि सीएम पद के लिए खट्टर का नाम सुन कई लोगों को हैरानी भी हुई। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लंबा जुड़ाव और बीजेपी में सांगठिनक जिम्मेदारी के चलते मनोहर लाल का नाम इस शीर्ष पद के लिए तय किया गया। खट्टर जाट बहुल हरियाणा की राजनीति में पंजाबी समुदाय से आते हैं।

बतौर मुख्‍यमंत्री हरियाणा को मनोहर लाल खट्टर के रूप में चौथा 'लाल' मिल गया है। सूबे की राजनीति में अभी तक पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल को मिलाकर तीन लाल हुए हैं। अब चौथे 'लाल' के रूप में मनोहर लाल सूबे की राजनीति में शामिल हो गए हैं। वैसे देखें तो तीनों लालों का हरियाणा की राजनीति में पूरा जोर रहा है। उनके समर्थकों की तादाद भी कम नहीं रही है। आने वाले समय में अब देखना यह होगा कि मनोहर लाल किस तरह प्रदेश में पूर्व के लालों की तरह अपना मुकाम बना पाते हैं। वैसे देखें तो प्रदेश की सत्‍ता में कोई लाल 15 वर्ष बाद काबिज होने जा रहा है। इससे पहले बंसीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने मई 199 से लेकर जुलाई 1999 तक प्रदेश की सत्ता संभाली। उसके बाद अभी तक किसी लाल को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी इस बार सूबे की सत्‍ता में बहुमत के साथ पहुंची है लेकिन मनोहर लाल के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। जनता ने जिन उम्‍मीदों के साथ बीजेपी को राज्‍य की सत्‍ता में चाहा, उसके सामने खड़ा उतरना पहली अब पहली प्राथमिकता होगी। महंगाई, बेरोजगारी, लिंग अनुपात, भ्रष्‍टाचार आदि तमाम ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे नई सरकार को निपटना होगा।

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हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए अपने नाम पर मुहर लगने के बाद ही मनोहर लाल का जोर स्वच्छ एवं भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन तथा राज्य के चौतरफा विकास की ओर रहा। भाजपा विधानमंडल दल का नेता चुने जाने के बाद खट्टर का कहना था कि वे हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार विकास करेंगे और विकास के मोर्चे पर कोई भेदभाव नहीं होगा। इस क्रम में राज्य के उन इलाकों के विकास पर भी जोर देना होगा जोकि अभी तक पिछड़े रह गए हैं। यानी चौथे 'लाल' के तौर पर मनोहर लाल की परीक्षा है कि वे कैसे जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाते हैं।

दूरदर्शी और राष्ट्रवादी सोच वाले मनोहर लाल खट्टर का जीवन दर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी हद तक मिलता-जुलता है। इस कारण से दोनों की विचारधारा भी एक जैसी रही है। जिक्र योग्‍य है कि रोहतक में चार साल तक दोनों साथ रहे और पार्टी संगठन के लिए काम किया। मनोहर लाल साल 1996 में भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री थे, उसी दौरान नरेंद्र मोदी को हरियाणा का प्रभारी बना कर भेजा गया था। चूंकि रोहतक में संघ और भाजपा का प्रदेश कार्यालय रहा है, इसलिए दोनों साथ ही कार्यालय में रहते थे। मोदी और खट्टर ने साल 2000 तक साथ काम किया। जिस तरह से मोदी ने परिवारवाद से दूर रहकर संघ के लिए काम किया, उसी तरह से खट्टर भी परिवार से दूर रहे। खट्टर ने भी विवाह नहीं किया और 17 साल की उम्र में ही संघ से जुड़ गए। नरेंद्र मोदी जिस तरह से सादगी पसंद करते हैं, उसी तरह खट्टर का जीवन भी सादगी से परिपूर्ण रहा है। खट्टर का जन्म 1954 में रोहतक जिले के निंदाना गांव में हुआ। उन्‍होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की। खट्टर की एक और खासियत यह है कि मोदी की तरह ही वे नई प्रौद्योगिकी का खुलकर इस्तेमाल करते हैं।

मनोहर लाल के लिए बड़ी बात यह रही कि खट्टर पहली बार चुनाव मैदान में आए और विधायक चुने जाने के बाद अब सीधे सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो रहे हैं। खट्टर के शब्‍दों में 'मैं संगठन के लिए काम करने वाला व्यक्ति हूं और पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे स्वीकार करूंगा।'

मोदी ने जहां आरएसएस के लिए पारिवारिक जीवन की तिलांजलि दे दी, वहीं खट्टर ने विवाह ही नहीं किया। खट्टर आरएसएस से प्रभावित होकर 1977 में इससे जुड़े और 1980 में वह प्रचारक के तौर पर आरएसएस के पूर्णकालिक सदस्य हो गए। मोदी की ही तरह खट्टर भी पहली ही बार विधायक बनने के बाद सीधे मुख्यमंत्री पद ग्रहण करेंगे। खट्टर बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली और दूसरे राज्यों में भी काम कर चुके हैं। खट्टर को 1994 में आरएसएस से बीजेपी में कार्य करने के लिए भेज दिया गया। तब से खट्टर भाजपा में कई अहम संगठनात्मक पद संभाल चुके हैं और पार्टी के रणनीतिकार एवं योजनाकार भी रह चुके हैं। उन्हें हरियाणा में राज्य चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।

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