बदलती ग्रामीण विसंगतियों की महागाथा है 'द लंपटगंज'
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बदलती ग्रामीण विसंगतियों की महागाथा है 'द लंपटगंज'

व्यंग्यकार पंकज प्रसून को यूं तो बहुत लोग कवि सम्मेलन के मंचों के हास्य कवि के रूप में जानते हैं. लेकिन डायमंड प्रकाशन द्वारा हाल ही में प्रकाशित हुए कथा संग्रह ' द लंपटगंज' में उनका गद्यकार और कथाकार रूप व्यापक रूप में सामने आया है.

बदलती ग्रामीण  विसंगतियों की महागाथा है 'द लंपटगंज'

नई दिल्ली : व्यंग्यकार पंकज प्रसून को यूं तो बहुत लोग कवि सम्मेलन के मंचों के हास्य कवि के रूप में जानते हैं. लेकिन डायमंड प्रकाशन द्वारा हाल ही में प्रकाशित हुए कथा संग्रह ' द लंपटगंज' में उनका गद्यकार और कथाकार रूप व्यापक रूप में सामने आया है.


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