अरब देश जहां जाने की 10 वजहें बताई जाती थीं, इस लिस्‍ट में एक आर्टिस्‍ट का नाम जुड़ा
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अरब देश जहां जाने की 10 वजहें बताई जाती थीं, इस लिस्‍ट में एक आर्टिस्‍ट का नाम जुड़ा

अरबी साहित्य में उनके योगदान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, सर्बियाई, कोरियाई, इतालवी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया गया है. वह अरबी की पहली लेखिका हैं, जिनकी रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद हुआ.

इस वर्ष का मैन बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली जोखा अल्हार्थी यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली अरबी लेखिका हैं.

नई दिल्ली: ओमान में पर्यटन को बढ़ावा देने वाली एक साइट पर इस अरब देश में आने की 10 वजह बताई गई हैं, लेकिन अब जल्द ही इस सूची को बढ़ाकर 11 करना होगा क्योंकि कीमती जेवरात, बेहतरीन सेरेमिक, चमड़े का उम्दा सामान, आलीशान मस्जिदों, कभी चांदी तो कभी सोने सी चमकती रेत और लजीज़ सीफूड जैसी चीजों के अलावा यह इनसानी भावनाओं को दिलफ़रेब अंदाज में कागज पर उतारने वाली जोखा अल्हार्थी का देश है.

इस वर्ष का मैन बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली जोखा अल्हार्थी यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली अरबी लेखिका हैं. जोखा की प्रारंभिक शिक्षा ओमान में हुई. उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी का रूख किया और वहां अरबी साहित्य में पीएचडी के बाद अपनी भावनाओं को कलम पर उतारने के हुनर में महारत हासिल की. इस समय वह सुल्तान कबूस यूनिवर्सिटी में अरबी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं.

अरबी साहित्‍य
ओमान में औपनिवेशिक काल के बाद के बदलाव को तीन बहनों की कहानी के जरिए खूबसूरत अंदाज में बयां करने वाली जोखा के लघु कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित हुए हैं. इसके अलावा उनके तीन उपन्यास मनामत, सैयदात अल कमर और नरिंजाह प्रकाशित हुए हैं. अरबी साहित्य में उनके योगदान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, सर्बियाई, कोरियाई, इतालवी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया गया है. वह अरबी की पहली लेखिका हैं, जिनकी रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद हुआ.

2016 में उनके उपन्यास नरिंजाह को संस्कृति, कला और साहित्य के लिए सुलतान कबूस अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनकी पुस्तक ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ को मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है. 1978 में जन्मी जोखा का मानना है कि इस पुरस्कार से समृद्ध अरबी संस्कृति के लिए एक रास्ता खुला है. अमेरिका की लेखिका और विद्वान मेरीलिन बूथ ने इस पुरस्कार विजेता उपन्यास का अनुवाद किया है. वह पुरस्कार में मिलने वाली राशि में भी हिस्सेदार होंगी. बूथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अरबी साहित्य पढ़ाती हैं.

पुरस्कार के विजेता का चयन करने वाली ज्यूरी की प्रमुख बेटनी हग्स ने कहा, ‘‘उपन्यास को अरबी लेखन कला का पहला और प्रमुख उदाहरण मानने की बजाय इसे अरब जगत के लिए खुलने वाले पहले रास्ते के तौर पर देखा जाता है. जोखा ने अपनी लेखनी से दिल और दिमाग दोनो को जीत लिया है. अल्हार्थी की लेखनी एक काव्यात्मक नदी की तरह बहती है, जिसमें पात्रों के रिश्तों को बेहतरीन अंदाज में ढाला गया है.’’

पांच अन्य पुस्तकों को पछाड़कर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम करने वाली जोखा ने पुरस्कार मिलने से पहले ही कहा था, ‘‘ओमान के लोगों को लेखन अथवा कला में उसी तरह दिलचस्पी है, जैसे दुनिया के बाकी देशों के लोगों को. ओमान के लोग अपनी लेखनी के जरिए पूरी दुनिया को खुले दिल ओ दिमाग से ओमान की तरफ बुलाते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया के किस हिस्से में हैं. स्नेह, दोस्ती, उम्मीद और दर्द को लेकर सबकी भावनाएं एक जैसी ही होती हैं. मानवता को यह सच्चाई समझने के लिए अभी बहुत काम करना होगा.’’

(इनपुट: एजेंसी भाषा)

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