Business News: मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में China को कड़ी टक्कर देने जा रहा है भारत, जानिए कैसे
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Business News: मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में China को कड़ी टक्कर देने जा रहा है भारत, जानिए कैसे

Mobile manufacturing Ring India: पिछले साल अक्टूबर तक कोविड-19 (Covid-19) के चलते हुई देरी के बावजूद देश में वैश्विक और घरेलू कंपनियों से 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इसमें अगले 5 साल में 10.5 लाख करोड़ की कीमत वाले हैंडसेट निर्माण के लिए हजारों करोड़ का निवेश शामिल रहा है.

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नई दिल्ली: चीन (China) के बाद भारत अगले दो सालों में अनुमानित 82 करोड़ यूजर्स के साथ स्मार्टफोन के क्षेत्र में अगला कैपिटल (Smartphone Capital) बनने जा रहा है. ऐसे में हैंडसेट से लेकर एक्सेसरीज, चिप डिजाइन से लेकर प्रोडक्शन तक मोबाइल के पूरे ईकोसिस्टम का निर्माण यहीं से होने वाला है. हालांकि चीन (China) की तुलना में भारत को प्राथमिकता देने के लिए तकनीकि क्षेत्र के दिग्गजों को भरोसा दिलाना आसान नहीं है, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेन्टिव स्कीम (PLI Scheme) के साथ इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. 

  1. चीन के बाद भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में आगे
  2. पूरे ईकोसिस्टम का होगा यहीं देश के भीतर होगा निर्माण
  3. केंद्र सरकार तेजी से इस दिशा में कर रही है काम

तेजी से बढ़ी सरकार

पिछले साल अक्टूबर तक कोविड-19 (Covid-19) के चलते हुई देरी के बावजूद देश में वैश्विक और घरेलू कंपनियों से 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इस सूची में अगले 5 साल में 10.5 लाख करोड़ की कीमत वाले हैंडसेट निर्माण के लिए 11,000 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल रहा है.

इन दिग्गजों को मौका

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने PLI योजना के तहत भारत में मोबाइल फोन के निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय आवेदकों में से सैमसंग (Samsung), फॉक्सकॉन (Foxconn) हॉन हाई, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार और विस्ट्रॉन के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. योजना के तहत मोबाइल फोन निर्माण के लिए स्वीकृत घरेलू कंपनियों में लावा (Lawa), भगवती माइक्रोमैक्स (Micromax), पेजेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स हैं.

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जानकारों की राय

उद्योग जगत के जानकारों (Industrial Experts) के मुताबिक, भारत में हार्डवेयर डिजाइनिंग कौशल का पूरा ज्ञान लाकर देश में तकनीकी जानकारी का विकास करना इस दिशा में लिया गया सबसे अहम फैसला होगा. उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रो के मुताबिक, भारतीय इंजीनियरों की दुनिया में काफी पूछ है और इनकी मदद से स्मार्टफोन कंपनियों को इस ईकोसिस्टम के मैन्युफैक्च रिंग की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'भारतीय इंजीनियर्स दुनिया में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन ऐसा भारत के बाहर रहकर किया जा रहा है. भारतीय इंजीनियरों को मौका देकर तो देखिए, इनमें दुनिया को चौकाने की क्षमता है.'

भारत को दोहरा फायदा

ICEA चीफ ने ये भी कहा, 'लावा द्वारा पिछले साल अपना पूरा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेटअप चीन से भारत ले आया. उन्होंने इस संबंध में 800 करोड़ का निवेश भी किया था. इस सिलसिले में प्रोडक्ट की कीमतों में थोड़ा-बहुत इजाफा कर फोन अपग्रेड करने बात उपभोक्ताओं के लिए काफी मायने रखती है. इससे फोन न केवल टिकाऊ बने रहेंगे, बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह काफी अच्छा होगा. वहीं आने वाले समय में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे.

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काउंटरपॉइंट रिसर्च में सहायक निदेशक तरुण पाठक के मुताबिक, महामारी के बाद के समय में वैश्विक आपूर्ति श्रृखंला के मामले में यह स्कीम भारत के लिए काफी अहम होगी. क्योंकि इससे सेक्टर को मजबूती मिलने के साथ, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. टार्गेट सेगमेंट के तहत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए PLI योजना के चलते सामानों की बिक्री में (आधार वर्ष) 4 से 6 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. इसमें स्वीकृत भारतीय कंपनियों द्वारा 5 साल की अवधि में इनका निर्माण हुआ है. 

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