रेलवे के लिए दुर्घटनाओं-बदलावों का साल रहा 2017, 8 महीनों में गई 48 लोगों की जान
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रेलवे के लिए दुर्घटनाओं-बदलावों का साल रहा 2017, 8 महीनों में गई 48 लोगों की जान

भारतीय रेल द्वारा दिये गये आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 के दौरान 78 रेल दुर्घटनाएं हुई थीं जबकि 2017-18 के पहले आठ महीनों में 37 दुर्घटनाएं हुईं. 

इस साल अभी तक रेल दुर्घटनाओं में कुल 48 लोगों की जानें गयी हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय रेल के लिए यह साल उथल-पुथल रहा. साल के दौरान रेल दुर्घटनाओं के साथ ही व्यापक प्राशासनिक बदलाव भी हुए. नरेंद्र मोदी सरकार के पहले रेल मंत्री सुरेश प्रभु को लगातार रेल दुर्घटनाओं के कारण इस्तीफा देना पड़ा. इसके साथ ही रेलवे बोर्ड ने अधिकारियों को मिलने वाली कई सुविधाओं में भी कटौती की. हालांकि आंकड़ों के आधार पर इस साल रेल दुर्घटनाओं में पिछले साल की तुलना में कमी आयी. भारतीय रेल द्वारा दिये गये आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 के दौरान 78 रेल दुर्घटनाएं हुई थीं जबकि 2017-18 के पहले आठ महीनों में 37 दुर्घटनाएं हुईं.

  1. चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक 49 गंभीर दुर्घटनाएं हुईं.
  2. जबकि 2016-17 में 104 और 2015-16 में 107 गंभीर दुर्घटनाएं हुई थीं.
  3. कलिंग उत्कल एक्सप्रेस का पटरी से उतरना इस साल की सबसे बड़ी दुर्घटना रही.

चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक 49 गंभीर दुर्घटनाएं हुईं जबकि 2016-17 में 104 और 2015-16 में 107 गंभीर दुर्घटनाएं हुई थीं. उत्तर प्रदश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली के पास कलिंग उत्कल एक्सप्रेस का पटरी से उतरना इस साल की सबसे बड़ी दुर्घटना रही. इसमें 23 लोगों की जानें गयी थीं तथा 156 लोग घायल हो गये थे. इस साल अभी तक रेल दुर्घटनाओं में कुल 48 लोगों की जानें गयी हैं जबकि 2016 में मरने वालों की संख्या 238 रही थी तथा 607 लोग घायल हो गये थे.

मंत्रालय ने आने वाले समय में दुर्घटनाएं कम करने के लिए पटरियों का तेजी से नवीनीकरण, पटरियों में गड़बड़ी की जांच के लिए अल्ट्रासोनिक प्रणाली का इस्तेमाल, ट्रेन संरक्षण एवं चेतावनी प्रणाली तथा ट्रेनों के टकराव को टालने वाले तंत्र का विकास आदि जैसे काम भी किये गये.

रेलवे ने इस साल क्षेत्रीय अधिकारियों को भी अधिक ताकत दी. नये रेल मंत्री पीयूष गोयल ने निर्णय लेने की क्षमता तेज करने के लिए महाप्रबंधकों और विभागीय प्रबंधकों को वित्तीय तथा प्राशासनिक क्षमताएं दी. वरिष्ठ अधिकारियों को यह ताकत भी दी गयी कि वे सुरक्षा अथवा रख-रखाव के कार्यों की निगरानी के लिए 65 वर्ष तक के पुराने कर्मचारियों की फिर सेवाएं ले सकें.

यह साल अधिकारियों की सेवाओं में कटौती का भी रहा. रेलवे बोर्ड ने पिछले महीने कर्मचारियों की संख्या में 40 प्रतिशत की कटौती करने तथा विभिन्न रेलवे जोन में 200 ऐसे पदों की पहचान करने को कहा था जहां बोर्ड में तैनात अधिकारियों को स्थानांतरित किया जा सके. मंत्रालय ने अपने शीर्ष अधिकारियों को सैलून तथा एक्सक्यूटिव श्रेणी में यात्रा करने के बजाय स्लीपर और 3एसी श्रेणी में यात्रा करने को कहा. इसके अलावा बड़े अधिकारियों को कहा गया कि वे अपने घरों में घरेलू कार्यों के लिए तैनात सभी रेलवे कर्मचारियों को भी वहां से हटाएं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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