लोक अभियोजक ने SC से कहा: 2जी आरोपियों से CBI निदेशक की मुलाकात अनुचित
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लोक अभियोजक ने SC से कहा: 2जी आरोपियों से CBI निदेशक की मुलाकात अनुचित

2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण के विशेष लोक अभियोजक ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि इस मामले के कई अभियुक्तों और उनके प्रतिनिधियों से केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा की मुलाकात ‘निश्चित ही अनुचित’ है और जनता को उनके आचरण के बारे में जानने का अधिकार है क्योंकि यह उनका निजी मामला नहीं है। लोक अभियोजक के इस कथन के बाद जांच एजेन्सी के निदेशक अधिक बचाव की मुद्रा में आ गये हैं।

लोक अभियोजक ने SC से कहा: 2जी आरोपियों से CBI निदेशक की मुलाकात अनुचित

नई दिल्ली : 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण के विशेष लोक अभियोजक ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि इस मामले के कई अभियुक्तों और उनके प्रतिनिधियों से केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा की मुलाकात ‘निश्चित ही अनुचित’ है और जनता को उनके आचरण के बारे में जानने का अधिकार है क्योंकि यह उनका निजी मामला नहीं है। लोक अभियोजक के इस कथन के बाद जांच एजेन्सी के निदेशक अधिक बचाव की मुद्रा में आ गये हैं।

विशेष लोक अभियोजक आनंद ग्रोवर ने न्यायालय से यह भी अनुरोध किया कि वकील प्रशांत भूषण को जांच ब्यूरो के निदेशक के निवास की आगंतुक सूची सहित तमाम दस्तावेज सौंपने वाले व्हिसिल ब्लोअर (भंडाफोड़ करने वाला ) का नाम जानने पर जोर नहीं दिया जाये। उन्होंने कहा कि जनता को ब्यूरो के निदेशक के आचरण के बारे में जानने का अधिकार है क्योंकि यह उनके निजी मामले से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी कानून रजिस्टर में शामिल सूचना को संरक्षण प्रदान नहीं करता है और शीर्ष अदालत को इसकी जांच करनी चाहिए।

ग्रोवर ने अपने 15 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि लोक अभियोजक ने कहा कि 2जी मामलों की जांच और मुकदमे के दौरान सीबीआई निदेशक और इस प्रकरण के अभियुक्तों के प्रतिनिधियों की बार बार मुलाकात निश्चित ही अनुचित है, इस बात की जांच करनी होगी कि क्या ऐसा कृत्य न्यायालय की अवमानना कानून 1971 के तहत आपराधिक अवमानना है और वे न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने समान है। उन्होंने कहा कि यह सूचना निदेशक के निजी मामलों से संबंधित नहीं है और नागरिकों को आधिकारिक हैसियत में उनके आचरण के बारे में जानने का अधिकार है और निदेशक किसी सांविधानिक अधिकार के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकते हैं।

शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून या कोई अन्य कानून रजिस्टर में दर्ज सूचना की गोपनीयता को संरक्षण प्रदान नहीं करता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशांत भूषण को व्हिसिल ब्लोअर की पहचान जाहिर करने के लिये बाध्य किया गया तो इससे बहुत अन्याय हो जायेगा। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध कि इस संबंध में 15 सितंबर को दिया गया आदेश वापस लिया जाये।

लोक अभियोजक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीबीआई निदेशक ने अपने निवास पर कैंप आफिस बनाया है और रजिस्टर में शामिल जानकारी निदेशक के निजी मामले से संबंधित नहीं है बल्कि ऐसा लगता है कि यह उनके आधिकारिक हैसियत में की गयी पेशेवर मुलाकात का रिकार्ड है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में अवमानना कार्यवाही (निदेशक के खिलाफ) होने की स्थिति में भी ऐसा लगता है कि इन मुलाकातों के बारे में निदेशक की स्वीकृति के मद्देनजर व्हिसिल ब्लोअर के नाम का खुलासा करना जरूरी नहीं है।

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