7th Pay Commission: कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी! सरकार ने एक और अलाउंस को दी मंजूरी, हर महीने बढ़कर आएगी सैलरी
7th Pay Commission: सरकार के इस फैसले से सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल कॉलेज के टीचर्स की सैलरी में इजाफा होगा. जानिए विस्तार से.
नई दिल्ली: 7th Pay Commission: कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. गुजरात सरकार के अंतर्गत काम कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों के लिए बेहद अच्छी खबर है. दरअसल, गुजरात सरकार ने सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों और गुजरात मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी (GMERS) मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार, नॉन-प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) को हरी झंडी दे दी है.
किसे मिलेगा ये भत्ता?
गुजरात के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल डॉक्टरों और मेडिकल कॉलेज टीचर्स के लिए रक्षाबंधन का तोहफा बताते हुए इस फैसले का ऐलान किया. आपको बता दें कि टीचर्स और डॉक्टर्स अपनी इस डिमांड को काफी लंबे समय से दबाव बना रहे थे और इसे लेकर हड़ताल पर भी जा चुके थे. अब इस फैसले के बाद कर्मचारियों की सैलरी हर महीने बढ़ कर आएगी.
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डॉक्टरों को त्योहार का तोहफा
नितिन पटेल के फेसबुक पेज पर इसे लेकर पोस्ट भी किया गया है. जिसमें लिखा गया है कि उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने सरकारी अस्पतालों के पात्र सेवारत डॉक्टरों और जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को रक्षाबंधन उपहार के रूप में सातवें वेतन आयोग के अनुसार नॉन-प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) को मंजूरी दी है.
हड़ताल वापस लेने की शर्त पर मिला भत्ता
आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने इसी साल मई में सातवें वेतन आयोग के मुताबिक छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों के लिए इसी NPA को मंजूरी दी थी. इसके कुछ महीने बाद उन्हें 8 जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों के साथ अपनी हड़ताल वापस लेने की शर्त पर मंजूरी दी गई.
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फैसले का स्वागत
गुजरात चिकित्सा शिक्षक संघ (GMTA) के अध्यक्ष डॉ. रजनीश पटेल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है कि सरकार ने जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों और सेवारत डॉक्टरों की लंबित मांगों को स्वीकार कर लिया है. आपको बता दें कि GMERS मेडिकल कॉलेज राज्य के स्वास्थ्य विभाग के गुजरात मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी के तहत स्थापित अर्ध-सरकारी संस्थान हैं.
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