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Yes Bank Vs Dish TV: इलाहाबाद हाई कोर्ट से Yes Bank को मुंह की खानी पड़ी है. हाई कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस के Yes Bank के पास गिरवी रखे Dish TV के शेयरों को फ्रीज करने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने इस मामले में FIR रद्द करने और जांच रोकने से इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कि वाजिब जांच को रोकना सही नहीं होगा. केस में सबूतों को इकट्ठा करना बाकी है. ऐसे में कोर्ट का दखल सही नहीं है.
हाई कोर्ट ने कहा कि मामला बड़ा है और पर्याप्त मैटेरियल भी नहीं हैं. बिना पर्याप्त मैटेरियल के सही परिप्रेक्ष्य में देख पाना कठिन है. कोर्ट ने यस बैंक को निर्देश दिया कि पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट जाएं और वहां से राहत लें. सरकारी पक्ष ने कहा जब केस में पार्टी नहीं है तो फिर दिक्कत क्यों है? बैंक जब FIR में आरोपी नहीं तो FIR रद्द करने की मांग कैसे कर सकता है. सरकारी वकील ने YES Bank पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा मैन्यूफैक्चर्ड दस्तावेज से HC को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.
डॉ. सुभाष चंद्रा (Dr. Subhash Chandra) ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस में FIR कराई थी. राणा कपूर, वेणुगोपाल धूत और अन्य के खिलाफ केस किया था. धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया था. साजिश के तहत डिश TV-वीडियोकॉन D2H डील कराई गई. बता दें, डिश TV के 24.19% शेयर Yes bank के पास गिरवी रखे हैं.
जब FIR में बैंक आरोपी नहीं तो फिर किस बात की लड़ाई?
शेयर हथिया कर वोटिंग करने की हड़बड़ी का मतलब क्या है?
क्या यस बैंक की मंशा लोन की रिकवरी या मैनेजमेंट कंट्रोल?
यस बैंक की महारत बैंक चलाने में है या मीडिया कंपनी में?
क्या किसी और के लिए मैनेजमेंट कंट्रोल लेने का इरादा है?
क्या किसी बड़े कॉरपोरेट घराने का एजेंट बन रहा यस बैंक?
डिश TV, AGM में अब तक कितनी बार की है बैंक ने वोटिंग?
फिर इस बार ही क्यों HC से लेकर SC तक का लग रहा चक्कर?
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