आम्रपाली के फ्लैट खरीददार भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, NCLT का आदेश रद्द करने को कहा
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आम्रपाली के फ्लैट खरीददार भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, NCLT का आदेश रद्द करने को कहा

वकील एम एल लाहोटी के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि 107 फ्लैट खरीददारों को न तो घर मिले हैं और न ही फर्म ने कोई मुआवजा दी दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका बिक्रम चटर्जी और 106 अन्य खरीददारों ने दायर की है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: रियल इस्टेट फर्म आम्रपाली में फ्लैट बुक कराने वाले एक सौ से अधिक खरीददारों ने बुधवार (20 सितंबर) को अपने हितों की रक्षा की गुहार लगाते हुये उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की. इन खरीददारों का अनुरोध है कि उन्हें भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरह ही सुरक्षित देनदार माना जाये. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली सेन्चूरियन पार्क-लो राइज परियोजना, आम्रपाली सेन्चूरियन पार्क-टेरेस होम्स और आम्रपाली सेन्चूरियन पार्क-ट्रॉपिकल गार्डन परियोजना में फ्लैट खरीदने वालों को न तो अभी तक घर मिले हैं और न ही इनमे निवेश की गयी उनकी गाढ़ी कमाई ही वापस मिली है. इन परियोजनाओं में चरणबद्ध तरीके से करीब 40 टावरों में पांच हजार से अधिक फ्लैट का निर्माण होना था.

नयी याचिका बिक्रम चटर्जी और 106 अन्य खरीददारों ने दायर की है. इसमें आम्रपाली सिलकन सिटी प्रा लि को दिवालिया घोषित करने के लिये बैंक ऑफ बड़ोदा के मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल का आदेश निरस्त किया जाये. ट्रिब्यूनल ने चार सितंबर को बैंक ऑफ बड़ोदा की याचिका पर इस फर्म के खिलाफ दिवालिया घोषित करने संबंधी कानून के तहत कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था.

नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल में रियल इस्टेट फर्म के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही शुरू होने के बाद धन वसूलने के लिये दीवानी अदालतों की डिक्री और उपभोक्ता आयोग के आदेशों पर अमल नहीं हो सकता है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि घर खरीदने वालों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों के समकक्ष माना जाये या दिवालिया संहिता के प्रावधानों को समता और जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला करार दिया जाये.

वकील एम एल लाहोटी के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि 107 फ्लैट खरीददारों को न तो घर मिले हैं और न ही फर्म ने कोई मुआवजा दी दिया है. याचिका में दावा किया गया है कि 2010-14 के दौरान हजारों खरीददारों ने एकतरफा आबंटन समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद करोडों रूपए बुकिंग राशि के रूप में जमा कराये हैं.

याचिका के अनुसार यह समझौता एकतरफा इसलिए है क्योंकि यह बेचे जा रहे फ्लैट बैंकों को गिरवी रखकर बिल्डर को कर्ज लेने की अनुमति प्रदान करता है और इसमें खरीददार आपत्ति नहीं कर सकते हैं. आम्रपाली फर्म के अलावा वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार, बैंक आफ बडोदा और रिजर्व बैंक को इसमें प्रतिवादी बनाया गया है.

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