जीएम फसलों के विरोध में सड़कों पर उतरे 150 संगठन
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जीएम फसलों के विरोध में सड़कों पर उतरे 150 संगठन

देशभर से 150 संगठनों के सदस्य मंगलवार को जंतर-मंतर पर एकत्र हुए और अनुवांशिकी रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और धमकी दी कि अगर सरसों की इस संकर किस्म को व्यवसायिक रूप से जारी किया जाता है तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे।

नई दिल्ली : देशभर से 150 संगठनों के सदस्य मंगलवार को जंतर-मंतर पर एकत्र हुए और अनुवांशिकी रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और धमकी दी कि अगर सरसों की इस संकर किस्म को व्यवसायिक रूप से जारी किया जाता है तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे।

‘सरसों सत्याग्रह’ के बैनर तले राजनीतिक दलों, किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों, उद्योग के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों, महिला अधिकार संगठनों और सोसायटी के सदस्यों ने इस विवादास्पद जीएम सरसों को मंजूरी देने के प्रयासों को ‘विफल’ करने का संकल्प लिया।

इस विरोध प्रदर्शन में देशभर से 150 संगठनों ने भागीदारी की जिसमें 29 राष्ट्रीय स्तर के संगठन और आरएसएस से संबद्ध भारतीय किसान संघ, भारतीय किसान यूनियन, अखिल भारतीय किसान सभा, स्वदेशी जागरण मंच और एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रिकल्चर (आशा) जैसे गठबंधन शामिल रहे।

आशा की कविता कुरगंति ने कहा, ‘यह साफ है कि हमारे समाज के सभी वर्गों और राज्य सरकारों को इस एचटी जीएम सरसों के खतरों के बारे में एहसास हो रहा है। यह विरोध आंदोलन मजबूत ही होगा और बहुत संभावना है कि सरकार भी भूमि अध्यादेश मामले की तरह खुद को उसी स्थिति में पाएगी।’ 

कुरगंति द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इस विरोध प्रदर्शन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जारी एक वीडियो संदेश भी चलाया गया जिसमें उन्होंने कहा कि जीएम फसलें लाकर किसानों को ठगा जा रहा है और उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि बिहार हमेशा से जीएम फसलों के खिलाफ रहा है।

विरोध प्रदर्शन स्थल पर मौजूद दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने पूछा कि क्यों केन्द्र सरकार भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच जैसे अपने संगठनों की बात नहीं सुन रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जीएम फसलों के खिलाफ लड़ाई में पूरा सहयोग करेगी और दिल्ली सरकार द्वारा सितंबर में आयोजित जश्न-ए-सरसों को लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।

भारतीय किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह ने जोर दिया कि वास्तविक किसान संगठनों ने कभी भी जीएम फसलों की मांग नहीं की। वहीं भारतीय किसान संघ के रतन लाल ने कहा कि जीएम फसलों से देश को वैसा ही खतरा है जैसा खतरा ईस्ट इंडिया कंपनी से था जिसने धीरे धीरे पूरे देश को उपनिवेश बना लिया और किसानों को जीएम फसलों को रोकने के लिए मिलकर लड़ाई करनी चाहिए।

बयान में कहा, ‘सरसों सत्याग्रह के जरिये प्रधानमंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन के साथ एक कड़ा संदेश भेजने की कोशिश की गई है। इस ज्ञापन में सभी वर्गों की चिंताओं और जीएम सरसों के खिलाफ वैज्ञानिक तर्कों को रेखांकित गया गया है।’

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