मिनिमम बैलेंस चार्ज के नाम पर ये कैसी लूट? पेनाल्टी लगाकर बैंक 9721 करोड़ कमाए
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मिनिमम बैलेंस चार्ज के नाम पर ये कैसी लूट? पेनाल्टी लगाकर बैंक 9721 करोड़ कमाए

बैंक बड़े-बड़े कॉरपोरेट देनदारों से पैसे भले ही न वसूल पाएं. या फिर भारी भरकम हेयर कट लेकर लोन सेटलमेंट करें. लेकिन पर आम खाता धारकों से कमाई में कसर नहीं छोड़ते.

मिनिमम बैलेंस चार्ज के नाम पर ये कैसी लूट? पेनाल्टी लगाकर बैंक 9721 करोड़ कमाए

नई दिल्ली : बैंक बड़े-बड़े कॉरपोरेट देनदारों से पैसे भले ही न वसूल पाएं. या फिर भारी भरकम हेयर कट लेकर लोन सेटलमेंट करें. लेकिन पर आम खाता धारकों से कमाई में कसर नहीं छोड़ते. निजी बैंक इस मामले में सबसे आगे हैं. खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं होने पर बीते तीन साल में चार बड़े प्राइवेट और 18 सरकारी बैंकों ने ग्राहकों से कुल 9721 करोड़ रुपये की पेनाल्टी वसूली है. बीते तीन साल में चार बड़े प्राइवेट बैकों ने करीब 3566 करोड़ रुपये बतौर पेनाल्टी खाताधारकों से वसूला है. वहीं 18 सरकारी बैंकों ने 6155 करोड़ रुपये की वसूली की है.

राज्य सभा में वित्त राज्य मंत्री ने दी जानकारी
निजी बैंकों की पेनाल्टी वसूली का आंकड़ा लगातार बढ़ा है. जबकि सरकारी बैंकों की ओर से पेनाल्टी वसूली की रकम 2017 से घटी है. इसकी वजह ये रही है कि एसबीआई ने भारी विरोध के बाद मिनिमम बैलेंस की सीमा की समीक्षा की थी. यह जानकारी राज्य सभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से लिखित जवाब के तौर पर मंगलवार को दी गई है. दरअसल बैंकों को ये छूट है कि वो अपने बोर्ड की ओर से तय पॉलिसी के तहत सेवाओं के बदले पैसे चार्ज करें.

रिजर्व बैंक सेवाओं के बदले चार्ज की ज्यादातर मामलों में समीक्षा नहीं करता. लेकिन आरबीआई यह जरूर तय करता है बैंक सर्विस के बदले वाजिब रेट चार्ज करें. केंद्रीय बैंक का नियम है कि बैंक बेसिक सेविंग बेसिक डिपॉजिट (BSBD) वाले खातों पर कोई मिनिमम बैलेंस चार्ज नहीं कर सकता. ऐसे खातों को जीरो बैलेंस खाता भी कहते हैं.

इस तरह के खातों में प्रधानमंत्री जनधन वाले खाते भी शामिल हैं. ऐसे खातों के एटीएम कार्ड पर सालाना कोई शुल्क भी नहीं होता. ऐसे खाते में ग्राहक को महीने में केवल चार बार ही ट्रांजेक्शन की छूट होती है. हालांकि एक व्यक्ति सभी बैंकों को मिलाकर केवल एक ही ज़ीरो बैलेंस खाता खोल सकता है. बैंक अगर चाहें तो अन्य सुविधाएं भी मुफ्त दे सकता है.

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