नई दिल्ली : केंद्र सरकार अभी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे लाखों-करोड़ों के बैंक घोटाला करके देश से भागे भगोड़ों से जूझ रही है. इस बीच खबर आ रही है कि गुजरात का एक कारोबारी नितिन संदेसरा करीब 5,000 करोड़ रुपये का लोन लेकर देश से भाग गया है और वह परिवार समेत नाईजीरिया में शरण लिए हुए है. नाईजीरिया से पहले वह यूएई था.


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टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, गुजरात की एक फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक का मालिक नितिन जयंतीलाल संदेसरा अपने परिवार समेत भारत से फरार हो चुका है. नितिन संदेसरा के साथ भाई चेतन संदेसरा, भाभी दीप्तिबेन संदेसरा देश से फरार हैं और बताया जा रहा है कि उन्होंने नाईजीरिया में शरण ले रखी है. जांच एसेंसी सीबीआई ने पिछले साल 5000 करोड़ के गबन के इस मामले में वडोदरा के इन तीनों के साथ राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमेंत हाथी, आंध्र बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग के खिलाफ मामला दर्ज किया था.इस मामले में खास बात ये है कि नाईजीरिया के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है. इसलिए नितिन को वहां से लाना संभव नहीं है. 


अखबार लिखता है कि नितिन संदेसरा की इंग्लैंड और नाईजीरिया में भी कई कंपनियां है. पहले यह कहा जा रहा था कि नितिन भारत से भागकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) चला गया. सीबीआई ने यूएई सरकार से संपर्क स्थापित किया और नितिन द्वारा किए गए गबन की जानकारी देते हुए उसकी गिरफ्तारी की अपील की थी. यूएई सरकार ने एक मामले में नितिन को गिरफ्तार भी किया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी विदेश मंत्रालय को नितिन संदेसरा के प्रत्यर्पण की मांग भेजी थी. इसके बाद पता चला कि वह अब नाईजीरिया में सैटल हो गया है.


क्या है मामला
नितिन संदेसरा वडोदरा की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक का मालिक है. स्टर्लिंग बायोटेक ने अलग-अलग बैंकों से 5,383 करोड़ रुपए का कर्ज लिया. इस कर्ज को नहीं चुकाया गया, जो बाद में एनपीए में बदल गया. बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा कर्ज आंध्रा ने स्टर्लिंग बायोटेक दिया था. जांच के दौरान इस पूरे खेल में कई नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी.


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जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने 2017 में संदेसरा ब्रदर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया था और तभी से नितिन और उसका भाई फरार हैं. सीबीआई ने दोनों भाइयों के अलवा नितिन की भाभी दीप्ति संसेदरा, स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशक राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत और आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था. 


इनमें से अनूप गर्ग और कंपनी के निदेशक राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित को इस साल जून में गिफ्तार कर लिया गया था. सीबीआई ने अपनी जांच में बताया कि बीते माली वर्ष में कपंनी ने महज 50 करोड़ की खरीद की थी, लेकिन खातों में 405 की खरीद दिखाई गई. कपंनी के टर्नओवर में भी हेराफेरी की गई थी.


डायरी से हुआ खुलासा
ईडी ने बताया कि इस घोटाले का खुलासा उस समय हुआ जब इनकम टैक्स ने संदेसरा ब्रॉदर्स के यहां एक छापेमारी के दौरान एक डायरी बरामद की थी. इस डायरी में 2008-2009 के दौरान बैंक अधिकारी को 1.52 करोड़ के भुगतान की एंट्री थी. ईडी ने बताया कि डायरी में बैंक अधिकारी को कई बार भुगतान दिए जाने के बारे में पता चला था. बैंक अधिकारी को यह भुगतान संदेसरा ग्रुप की बेनामी कंपनियों के बैंक खातों से पैसा निकालने के एवज में किया गया था.


4700 करोड़ की संपत्ति जब्त
संदेसरा द्वारा किए इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशाल ग्रुप की 4700 करोड़ की संपत्तियों को सीज कर चुका है. ईडी ने गुजरात के वडोदरा, अहमदाबाद और मुंबई में छापेमारी करके इन संपत्तियों की सीज किया था. ईडी ने बताया कि इस ग्रुप ने आंध्रा बैंक के अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और यूको बैंक से भी फर्जी तरीके से लोन लिया था. लोन के इस पैसे से इस ग्रुप ने देश के कई इलाकों में बड़े बंगले, फ्लैट और प्लॉट खरीदे थे. छापेमारी के दौरान 200 से ज्यादा बैंक खातों के चेक बुक भी जब्त की गईं.


ये हैं कंपनियां
संदेसरा ग्रुप ने स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड, स्टर्लिंग पोर्ट लिमिटेड, पीएमटी मशीन लिमिटेड, स्टर्लिंग एसईजेड और इन्फ्रास्टक्चर लिमिटेड एवं स्टर्लिंग ऑयल रिसोर्सेस लिमिटेड समेत कई फर्जी कंपनियां बनाई हुई थीं. इन कंपनियों के खातों में बैंकों से 5000 करोड़ से अधिक का लोन लिया गया था. और इसी लोन के एवज में बैंक अधिकारियों को भुगतान किया जाता था. बताया जा रहा है कि कंपनी के मालिकों का कांग्रेस के एक बड़े नेता से करीबी संबंध है और दिल्ली स्थित इस नेता के घर पर ही रुपयों का भुगतान किया जाता था. इस नेता के दामाद को भी कई बार भुगतान किया गया था.