अल्पकालिक लाभ के लिए बाजार खोने का जोखिम ले रहे हैं बैंक: राजन
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अल्पकालिक लाभ के लिए बाजार खोने का जोखिम ले रहे हैं बैंक: राजन

रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों को ब्याज दर में और कटौती करने के लिए आज फिर से उकसाया। उन्होंने कहा कि बैंकों ने हाल में जमा दर में एक प्रतिशत की कटौती कर दी है जो ऋणों पर उनके ब्याज में कमी की तुलना में अधिक है।

मुंबई : रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों को ब्याज दर में और कटौती करने के लिए आज फिर से उकसाया। उन्होंने कहा कि बैंकों ने हाल में जमा दर में एक प्रतिशत की कटौती कर दी है जो ऋणों पर उनके ब्याज में कमी की तुलना में अधिक है।

राजन ने कहा कि बैंकों को बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए अंतत: कार्रवाई करनी ही होगी क्यों कि कंपनियों के कामर्शियल पेपर (सीपी) और जमा प्रमाण-पत्र (सीडी) जैसे धन जुटाने वाले विकल्पों में आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती का असर झलक रहा है। आरबीआई ने इस साल कुल मिलाकर नीतिगत दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती की है।

राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक चाहता है कि ब्याज दर बाजार तय करे जो मुख्य तौर पर कोष की सीमांत लागत पर निर्भर करेगी। फिलहाल बैंक ब्याज दर धन की औसत लागत से तय की जाती है जो जमा राशि की लागतों पर आधारित होती है।

राजन ने यहां मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, यदि मैं बैंकों की सावधि जमाओं ध्यान देता हूं तो इसकी वजह यह है कि सिर्फ यही एक चीज जिसमें मैं निवेश कर सकता हूं। यह सावधिक जमा दर एक प्रतिशत घटकर आठ प्रतिशत रह गई है। समय के साथ इसका भार कर्ज की ब्याज दरों पर पहुंचाना होगा। राजन ने आज नीतिगत ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दी।

राजन ने कहा कि आरबीआई को आधार दर आकलन के ढांचे में प्रस्तावित संशोधन पर बैंकों से प्रतिक्रिया मिलने का इंतजार है। रिजर्व बैंक ने इसे धन की सीमांत लागत पर आधारित करने का विचार किया है। आधार दर बैंकों कर्ज की न्यूनतम ब्याज दर है। ब्याज दर व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए जुलाई 2010 में इस प्रणाली को लागू किया गया था।

नीतिगत ब्याज दर में कटौती के बावजूद उसका लाभ ग्राहकों तक न पहुंचाने के खिलाफ अप्रैल में राजन की सख्त टिप्पणियों के बाद बैंकों ने आधार दर में 0.10 से 0.25 प्रतिशत के बीच कटौती की है। उन्होंने कहा था कि बैंकों का उच्च ब्याज दर को बरकरार रखना ‘बेमानी’ है। आज भी उन्होंने कहा कि सीपी और सीडी बाजार रिजर्व बैंक की नीति के अनुरूप है और कंपनियां रिण जुटाने के लिए उन बाजारों की ओर रख कर रही हैं।

उन्होंने कहा, कंपनियां बैंकों को छोड़ कर सीधे उन बाजारों में जा रही हैं जिससे बैंकों पर मुख्य दरों में कटौती का दबाव बन रहा है। बैंकों को आज की उच्च मार्जिन और बाजार में कल हस्सेदारी बरकरार रखने के विकल्पों के बीच चुनाव करना है।

 

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