नई दिल्ली : जल्द ही EPF की पेंशन यानी एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) के नियमों में बदलाव हो सकता है. दरअसल, EPFO पेंशन निकालने से जुड़ा एक प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. पेंशन निकासी की उम्र सीमा फिलहाल 58 साल है. सूत्रों की मानें तो EPFO इसे बढ़ाकर 60 साल करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है. आसान भाषा में समझें तो पेंशन निकालने की उम्र सीमा को 58 साल बढ़ाकर 60 साल किया जा सकता है.
वैकल्पिक होगा उम्र बढ़ाने का फैसला
मतलब यह कि पहले जो EPF सदस्य 58 साल की उम्र में पेंशन निकाल सकता था. अब उसे 60 साल की उम्र में पेंशन निकालने की छूट होगी. हालांकि, यह व्यवस्था पूरी तरह से वैकल्पिक होगी. अगर ईपीएफ सदस्य चाहेगा तो ही उसे 60 साल में पेंशन मिलनी शुरू होगी. अगर वो चाहे तो उम्र सीमा को 58 साल ही रख सकता है.
बढ़ सकती है पेंशन की उम्र सीमा
पेंशन को लेकर EPFO का जो नियम है, उसके मुताबिक अलग-अलग जगह नौकरी करते हुए अगर आपकी सर्विस हिस्ट्री 10 साल की हो जाती है और इस बीच आप पेंशन को विथड्रॉ नहीं करते हैं तो आपकी पेंशन बंध जाती है. 58 साल की उम्र होने पर आपको मासिक पेंशन के तौर पर कुछ पैसे मिलने लगते हैं. अब EPFO इस उम्र सीमा को 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर सकता है.
EPFO पहले भी ला चुका है प्रस्ताव
EPFO का मानना है कि इस फैसले से पेंशन फंड में घाटा 30 हजार करोड़ रुपए तक कम हो जाएगा. यह पहली बार नहीं है जब EPFO पेंशन उम्र बढ़ाने का प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. साल 2015 में भी EPFO ने इसका प्रस्ताव तैयार किया था. हालांकि, उस वक्त सरकार ने इसे खारिज कर दिया था. EPFO को प्रस्ताव पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अलावा श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी.
क्यों हो रहा है पेंशन के नियम में बदलाव?
सूत्रों की मानें तो EPFO कुछ नियमों में बदलाव करेगा. EPF एक्ट 1952 को भी बदलने की तैयारी है. दरअसल, दुनियाभर में पेंशन फंड में पेंशन की उम्र 65 साल तय की गई है. EPF एक्ट में बदलाव करके भारत में भी पेंशन की उम्र सीमा को बढ़ाने की तैयारी है. हालांकि, इसे बढ़ाकर 65 साल तो नहीं किया जा सकता है. इसलिए 2 साल का एक्सटेंशन दिया गया है.
अगले महीने होगी CBT की बैठक
अगले महीने EPFO सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक होनी है. इस बैठक में पेंशन उम्र को बढ़ाने पर विचार हो सकता है. बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को लेबर मिनिस्ट्री के पास भेजा जाएगा. अगर वहां से भी मंजूरी मिल जाती है तो अंतिम पड़ाव वित्त मंत्रालय होगा. वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद कैबिनेट में इसे रखा जाएगा.
क्या है EPF का पेंशन नियम?
नौकरीपेशा लोगों की सैलरी से हर महीने एक निश्चित रकम प्रोविडेंट फंड (PF) के तौर पर कटती है. वहीं, एम्प्लॉयर के हिस्से से भी उतनी ही रकम PF खाते में जमा होती है. लेकिन, एम्प्लॉयर के हिस्से से कटने वाली रकम को दो हिस्सों में बांटा जाता है. पहला PF और दूसरा पेंशन फंड (EPS) होता है. कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा EPF में जमा होता है. एम्प्लॉयर के हिस्से से 3.67 फीसदी EPF और 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जमा होता है.