1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. कोरोना संकट से उबरती अर्थव्यवस्था को नया बूस्टर देने की कोशिश की गई. हेल्थ, एग्री, इंफ्रास्ट्रक्चर सभी को कुछ न कुछ मिला, लेकिन आम आदमी और सैलरीड क्लास हाथ खाली रह गया, लेकिन क्या वाकई ऐसा है.
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Budget 2021: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. कोरोना संकट से उबरती अर्थव्यवस्था को नया बूस्टर देने की कोशिश की गई. हेल्थ, एग्री, इंफ्रास्ट्रक्चर सभी को कुछ न कुछ मिला, लेकिन आम आदमी और सैलरीड क्लास हाथ खाली रह गया, लेकिन क्या वाकई ऐसा है. हम आपको बताने जा रहे हैं वो 6 बड़े ऐलान जो टैक्स को लेकर किए गए हैं, जिसका असर टैक्सपेयर्स पर होगा.
बजट में ऐलान किया गया कि 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों को अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी. ये फायदा उन्हीं बुजुर्गों को मिलेगा जिनकी आमदनी का जरिया सिर्फ पेंशन है. मतलब अगर वो किराए के मकान, दुकान या किसी और तरीके से आमदनी हासिल करते हैं तो उन्हें ITR दाखिल करना होगा.
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नौकरीपेशा वर्ग को Affordable Housing के लिए होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली छूट एक साल और बढ़ाई गई है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80EEA के तहत मिल रही अतिरिक्त टैक्स छूट को सरकार ने एक साल के लिए और बढ़ा दिया है. सरकार होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट देती है, जिसकी मियाद 31 मार्च 2021 को खत्म हो रही थी, इसे बढ़ाकर अब 31 मार्च 2022 कर दिया गया है.
अभी तक इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान पहले से ही फॉर्म में नाम, पता, सैलरी पर लगा टैक्स, टैक्स का भुगतान, टीडीएस जैसी जानकारियां पहले से ही भरी होती हैं. अब फॉर्म में लिस्टेड सिक्योरिटीज से हुए कैपिटल गेंस की जानकारी, डिविडेंड इनकम की जानकारी और बैंक-पोस्ट ऑफिस से मिले ब्याज की जानकारी भी पहले से भरी हुई मिलेगी.
फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल का ऐलान बजट में किया गया है. एक नेशनल इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर बनाया जा रहा है. इस नई व्यवस्था में सारा कम्यूनिकेशन डिजिटल तरीके से होगा. मतलब टैक्सपेयर के लिए फिजिकल तौर पर उपस्थित होने की जरूरत नहीं होगी. अगर किसी मामले में टैक्सपेयर की उपस्थिति की जरूरत होगी, तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर सकेगा.
इस बजट में टैक्स असेसमेंट के केस को दोबारा खोले जाने की अवधि को 6 साल से घटाकर 3 साल करने का भी ऐलान किया गया है. मतलब इनकम टैक्स चोरी के किसी भी मामले में अब 3 साल तक ही कार्रवाई हो सकती है. पहले ये समय सीमा 6 साल थी. इससे कोर्ट पर पेंडिंग मामलों का दबाव कम होगा और आय कर विभाग के सामने तय समय में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती होगी. गंभीर मामलों में भी जहां एक साल में 50 लाख रुपये या उससे अधिक की टैक्स चोरी के सबूत मिलते हैं, उन्हें भी 10 साल में दोबारा खोला जा सकेगा.
निर्मला सीतारमण ने इस बजट में टैक्स ऑडिट की सीमा को 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस पहले ही उन्होंने 1 करोड़ रुपये के टर्नओवर से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया था. ये उनके लिए है जो अपनी करीब 95 फीसदी ट्रांजेक्शन डिजिटल माध्यम से करते हैं.
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