ओएनजीसी को बेची जाएगी एचपीसीएल में सरकार की 51% हिस्सेदारी, कैबिनेट ने दिखाई हरी झंडी
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ओएनजीसी को बेची जाएगी एचपीसीएल में सरकार की 51% हिस्सेदारी, कैबिनेट ने दिखाई हरी झंडी

एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि यह सौदा 26,000 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये के बीच बैठेगा. इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में हिस्सेदारी बिक्री से 72,500 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य का 40% पूरा करने में मदद मिलेगी. 

एचपीसीएल के अधिग्रहण सौदे में ओएनजीसी को खुली पेशकश लाने की जरूरत नहीं होगी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) में सरकार की 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि यह सौदा 26,000 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये के बीच बैठेगा. इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में हिस्सेदारी बिक्री से 72,500 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य का 40% पूरा करने में मदद मिलेगी. 

समझा जाता है कि पेट्रोलियम क्षेत्र में इस तरह के और सौदे होंगे. इनमें एक सौदा इंडियन आयल कॉरपोरेशन द्वारा ऑयल इंडिया के अधिग्रहण का हो सकता है. इसके अलावा भारत पेट्रोलियम का गैस इकाई गेल में विलय हो सकता है. सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ओएनजीसी द्वारा एचपीसीएल के अधिग्रहण के प्रस्ताव को सैद्धान्तिक मंजूरी दी गई.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गुरुवार (20 जुलाई) को दोपहर संसद में इस सौदे और अन्य संभावित विलय सौदों के बारे में बयान देंगे. विलय से पहले एचपीसीएल संभवत: मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) का अधिग्रहण कर सकती है जिससे ओएनजीसी की सभी रिफाइनिंग परिसंपत्तियां एक इकाई के तहत आ जाएंगी. फिलहाल ओएनजीसी के पास एमआरपीएल की 71.63% हिस्सेदारी है, जबकि एचपीसीएल के पास इसकी 16.96% हिस्सेदारी है. 

एचपीसीएल द्वारा ओएनजीसी की हिस्सेदारी के अधिग्रहण से उसे (ओएनजीसी) को आज (बुधवार, 19 जुलाई) के बंद भाव के हिसाब से 16,414 करोड़ रुपये मिलेंगे. ओएनजीसी के पास 13,014 करोड़ रुपये की नकदी है. उसके पास आईओसी में अपनी समूची 13.77% या आंशिक हिस्सेदारी बेचने का भी विकल्प है जो करीब 25,000 करोड़ रुपये की बैठेगी.

एचपीसीएल के अधिग्रहण सौदे में ओएनजीसी को खुली पेशकश लाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि सरकार की हिस्सेदारी एक दूसरी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को स्थानांतरित की जा रही है और इससे स्वामित्व में बदलाव नहीं हो रहा है. एचपीसीएल के आधे से अधिक शेयर ओएनजीसी के हाथ में पहुंचने पर वह ओएनजीसी की अनुषंगी हो जाएगी पर शेयर बाजार में सूचीबद्ध बनी रहेगी.

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