लॉकडाउन के बीच मंदी के संकेत: मारुति और ह्यूंडे ने दर्ज की भारी गिरावट
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लॉकडाउन के बीच मंदी के संकेत: मारुति और ह्यूंडे ने दर्ज की भारी गिरावट

देश की दो बड़ी कार निर्माता कंपनियों ने नुकसान का आगाज कर दिया है

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी और लॉकडाउन के बीच मंदी के लक्षण नजर आने लगे हैं. बुधवार को देश की दो बड़ी कार निर्माता कंपनियों ने नुकसान का आगाज कर दिया है. मारुति सुजुकी  (Maruti Suzuki) और ह्यूंडे (Hyundai) ने मार्च महीने के रिजल्ट जारी किए हैं. दोनो कंपनियों को ही मार्च महीने में भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

  1. देश की दो बड़ी कार निर्माता कंपनियों को मार्च महीने में भारी नुकसान
  2. मारुति सुजुकी और ह्युंडे को 47 फीसदी का नुकसान
  3. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से नहीं बिक रही गाड़ियां

दोनो कंपनियों को 47 प्रतिशत का नुकसान
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) ने बुधवार को कहा कि मार्च 2020 में उसकी बिक्री 47 प्रतिशत घटकर 83,792 इकाई रह गई. एमएसआई ने एक बयान में कहा कि कंपनी ने पिछले साल मार्च में 1,58,076 इकाइयां बेची थीं. इसी तरह हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि मार्च महीने में उसकी बिक्री 47.21 प्रतिशत गिरकर 32,279 वाहन रह गई. कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसने पिछले साल मार्च में 61,150 वाहनों की बिक्री की थी.

मारुति का है बुरा हाल
बयान में बताया गया कि उसकी घरेलू बिक्री मार्च 2019 की 1,47,613 इकाइयों की तुलना में 46.4 प्रतिशत घटकर मार्च 2020 में 79,080 इकाई रह गई. इस दौरान ऑल्टो और वैगनआर जैसी छोटी कारों की बिक्री 15,988 इकाई रही, जो पिछले साल इसी महीने में 16,826 इकाई थी. इस तरह छोटी कारों की बिक्री में पांच प्रतिशत की कमी आई. स्विफ्ट, सेलेरियो, इग्निस, बलेनो और डिजायर जैसे मॉडल वाले कॉम्पैक्ट खंड में बिक्री 50.9 प्रतिशत घटकर 40,519 इकाई रही. इसी तरह विटारा ब्रेज़ा, एस-क्रॉस और एर्टिगा सहित यूटिलिटी वाहनों की बिक्री 53.4 प्रतिशत घटकर 11,904 इकाई रही.

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ऑटो इंडस्ट्रीज से जुड़े एक जानकार का कहना है कि फरवरी महीने से ही नुकसान का अंदाजा होने लगा था. चीनी कंपनियों के ठप्प होने और कोरोना वायरस की वजह से घरेलू बाजार में अफरा-तफरी के बीच सबसे ज्यादा मार कार कंपनियों के बिक्री में नजर आया है. मार्च महीने में ही लॉकडाउन और इसके बाद कोरोना के बढ़ते मामलों ने कार बिक्री को लगभग शुन्य ही कर दिया है. कार निर्माता कंपनियों को इससे उबरने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है.

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